बीकानेर Abhayindia.com होम्योपैथी चिकित्सा से थायरॉयड का बेहतर इलाज संभव है। इस पद्धति के माध्यम से लक्षणों को दबाने के बजाय, समस्या के अंदरुनी कारण को भी ठीक किया जाता है। थायराइड ग्रंथि T3, T4 को स्त्रावित करती हैं जो बी.पी, दिल की धड़कन, रक्त मे शुगर, कोलेस्ट्रॉल, फ़ास्फोलिपिड की मात्रा को नियंत्रित करता है। थायराइड दो प्रकार का होता हैं। यहां नीचे जानते हैं विस्तार से…
हायपर थायरायड : इसमें ग्रंथि की सक्रियता बढ़ जाने से घबराहट, अनिद्रा, अंगों का कांपना, धड़कन बढ़ना, चिडचिडापन, बाल पतले होना व झड़ना, वजन कम होना, स्त्रियों मे मासिक धर्म मे अनियमितता, ऑस्टियोपोरोसिस आदि होते हैं।
हाइपो थायराइड : इसमें ग्रंथि की सक्रियता कम होने से थकान, अवसाद, मोटापा, कब्ज होना, त्वचा मे रुखापन, आंखों मे सूजन, स्त्रियों मे मासिक धर्म की अनियमितता आदि इसके लक्षण है।
होम्योपैथी मे किसी भी बीमारी का उपचार प्रत्येक रोगी के शारीरिक एवं मानसिक लक्षणों के आधार पर विभिन्न दवाओं के द्वारा किया जाता हैं। साधारणतया थायराइड में कैल्केरिया कार्ब, फ्यूकस, आयोडम आदि दवाइयां हैं जो काम मे ली जाती हैं, लेकिन किसी भी दवाई का प्रयोग योग्य होम्योपैथी चिकित्सक के परामर्श के बिना नहीं करना चाहिए। –डॉ. भाग्यश्री कुलरिया, BHMS, PG (LONDON), बीकानेर