








भगवान शिव भोलेनाथ की आराधना का पर्व ‘महाशिवरात्रि’ (Maha Shivaratri) 21 फरवरी को मनाई जाएगी। इस बार यह पर्व कई विशेष संयोगों के बीच मनाया जाएगा।
ज्योतिषविदों के अनुसार लगभग 59 साल बाद महाशिवरात्रि के दिन मकर राशि में चंद्र और शनि का संयोग इस पर्व के महत्व को और बढ़ाएगा। इस दिन सर्वार्थसिद्धि, उत्तराषाढ़ा, श्रवण नक्षत्र के कई योग भी बनेंगे। इधर, महाशिवरात्रि को देखते हुए शिवालयों में रंग रोगन तथा सजावट के साथ ही अन्य व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
ज्योतिषविदों के अनुसार, 21 फरवरी को शनि-चंद्र की मकर राशि में युति के साथ ही बृहस्पति धनु राशि में, बुध कुंभ राशि में और शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा। पांच ग्रहों की राशि पुनरावृत्ति विशेष शुभफलदायी रहेगी। इसके अलावा चंद्रमा मन और शनि ऊर्जा का कारक ग्रह है। इसके चलते महाशिवरात्रि पर इस योग का साधना की सिद्धि के लिए विशेष महत्व रहेगा।
पूजन का समय
महाशिवरात्रि को पहले प्रहर की पूजा शाम 6.18 से रात 9.28 तक होगी। दूसरे प्रहर की पूजा रात 9.29 से 12.39 बजे, तीसरे प्रहर की पूजा मध्यरात्रि 12.40 से 3.50 बजे तथा अंतिम प्रहर की पूजा मध्यरात्रि बाद 3.51 से सुबह 7.02 बजे तक होंगी।
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