









आज के शहरीकरण और आधुनिक जीवनशैली के युग में फ्लैट रहन-सहन का एक महत्वपूर्ण विकल्प बनकर उभरा है। विशेष रूप से महानगरों और विकसित शहरों में, फ्लैट जीवन की एक सामान्य आवश्यकता बन गई है। फ्लैट रहने के लिए एक सुरक्षित और सुव्यवस्थित स्थान प्रदान करता है। अधिकतर फ्लैट अपार्टमेंट्स या हाउसिंग सोसायटी में स्थित होते हैं जहाँ सुरक्षा की अच्छी व्यवस्था होती है, जैसे कि गार्ड, सीसीटीवी, और गेटेड एंट्री। यह परिवारों, विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करता है।
फ्लैट में रहने वाले लोगों को आधुनिक जीवन की अनेक सुविधाएँ एक ही स्थान पर मिल जाती हैं। जैसे–लिफ्ट, पार्किंग, बिजली-पानी की व्यवस्था, क्लब हाउस, जिम, पार्क और कभी-कभी दुकानें भी। इससे समय और श्रम की बचत होती है और जीवन आसान बनता है इसके साथ ही यदि फ्लैट वास्तुसम्मत नहीं हो तो कब यह वरदान से अभिशाप बन जाता है इसका पता ही नहीं चलता इसलिए किसी फ्लैट के लेआउट को चेक करते समय प्रवेश द्वार का जरूर ध्यान रखें। क्योंकि प्रवेश द्वार की सही वास्तु स्थिति पूरे परिवार के लिए सकारात्मकता और खुशी को आकर्षित करती है। इसलिए कोशिश करें कि ऐसा फ्लैट लें जिसमें पूर्व, उत्तर, उत्तर-पूर्व या पश्चिम की ओर मुख हो।
इसके अलावा ऐसा देखा जाता है कि उत्तर मुखी फ्लैट सबसे शुभ माना जाता है। जिस फ्लैट का प्रवेश द्वार भवन के प्रवेश द्वार के समान दिशा में हो, वह अधिक शुभ होता है। इसके अलावा, अगर दरवाजा घड़ी की दिशा में अंदर की ओर खुलता है तो बेहतर होता है। ऐसा फ्लैट बिल्कुल भी नहीं खरीदना चाहिए जो अनियमित, वृत्ताकार और त्रिकोणीय आकार का हो या फिर कोने गायब हो। जैसे ‘गौमुखी’ आकार वाले फ्लैट अच्छे माने जाते हैं। क्योंकि यह प्रवेश के बिंदु पर संकरा और पीछे चौड़ा होता है।
हमारे जीवन में प्राकृतिक रोशनी का बहुत महत्व है। चूंकि सूरज की रोशनी को सकारात्मकता का स्रोत माना जाता है, वास्तु शास्त्र एक फ्लैट के लिए उत्तर या पूर्व क्षेत्र में एक खिड़की और बालकनी की उपस्थिति को प्राथमिकता देता है। सुबह की धूप स्वास्थ्य और मानसिक शांति के लिए भी फायदेमंद होती है। कभी भी ऐसा फ्लैट नहीं खरीदना चाहिए जिसके आसपास जीर्ण-शीर्ण इमारतें या फिर कब्रिस्तान आदि हो। फ्लैट खरीदते समय इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि दक्षिण -पश्चिम में बालकनी न हो। इससे घर में निगेटिव एनर्जी वास करती है।
रसोई कक्ष हमेशा एक अभिन्न अंग होता है। आपके फ्लैट का दक्षिण-पूर्व कोना आमतौर पर रसोई के लिए बेहतर होता है। गैस या स्टोव रखने के लिए दक्षिण-पूर्व दिशा का चयन करना चाहिए। वास्तु के अनुसार, दक्षिण-पूर्व और उत्तर-पूर्व में कट वाले फ्लैट लेने से बचना चाहिए। अपार्टमेंट के घर के भीतर जल स्रोत उत्तर-पूर्व में रखने पर लक्ष्मी प्रसन्न होती है। व्यक्ति के मान-सम्मान और प्रसिद्धि में वृद्धि होती है। जो व्यक्ति इस बात को मानते हैं उन्हें संतान की कभी कमी नहीं रहती है।
बहुमंजिला भवन कितने भी मंजिल का क्यों न हो यह आवश्यक है कि नीचे के मंजिल से उपर की मंजिल की ऊंचाई में थोड़ी कमी रखनी चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशाओं के बीच बाथरूम की उपस्थिति एक फ्लैट के लिए ठीक नहीं है, वास्तुविदों का मानना है यह किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा को प्रभावित कर सकता है। यदि आपने नया फ्लैट लिया है तो आप उसमें अपना मंदिर ईशान कोण में, ड्राइंग रूम उत्तर-पश्चिम, या फिर दक्षिण अथवा पश्चिम दिशा में बना सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि आपका बेड, खाने और पढ़ने वाली टेबल किसी बीम के नीचे न रहे।
ऐसा फ्लैट चुनें, जहां आप आसपास के शानदार दृश्यों का आनंद ले सकें, जिसमें फ्लैट में उचित हवादार खिड़कियां हों, जिससे वेंटिलेशन प्रोपर हो। सुनिश्चित करें कि यदि आप ऊपरी मंजिलों पर रहते हैं तो आस पास कोई ऊंचे पेड़ सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को अवरुद्ध नहीं करें। वास्तु शास्त्र के अनुसार अपार्टमेंट का चयन करते समय ध्यान रखें कि वह बेसमेंट में न हो। ऐसा इसलिए क्योंकि बेसमेंट या तहखाने में धूप नहीं मिलती है, अंधेरे कोने होते हैं, यह हमेशा नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं।
फ्लैट केवल एक आवासीय इकाई नहीं है, बल्कि यह आज के जीवन की शैली का हिस्सा बन चुका है। यह सुरक्षा, सुविधा, सामुदायिक जीवन और आर्थिक सुलभता का समन्वय प्रस्तुत करता है। बदलते समय में फ्लैट का महत्त्व और भी अधिक बढ़ता जा रहा है इसलिए इसका वास्तु सम्मत होना अत्यावश्यक हो गया है। बेडरूम का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होता है। शयन कक्ष यदि सही दिशा में हो तो व्यक्ति को अच्छी नींद आती है, जिससे वह सुबह तरोताजा होकर उठता है और पूरे दिन ऊर्जावान रहता है। ध्यान रहे कि आप जो भी फ्लैट खरीद रहे हैं उसका बेडरूम पूर्व- दक्षिण दिशा में न हो। अन्य था इसका अशुभ प्रभाव आपके खुशियों पर पड़ेगा।
मल्टीस्टोरी बिल्डिंग के फ्लैट का वास्तु एक महत्वपूर्ण विषय है जो घर के निवासियों के जीवन पर प्रभाव डाल सकता है। सार रूप में कहे तो प्रवेश द्वार को आकर्षक और स्वागत योग्य बनाएं। प्रवेश द्वार पर पौधे या दीवार पर सुंदर चित्र लगाना अच्छा हो सकता है। फ्लैट के रंगों का चयन करते समय वास्तु सिद्धांतों का ध्यान रखें। फर्नीचर का चयन करते समय उसकी दिशा और स्थिति का ध्यान रखें। उदाहरण के लिए, बेड को दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना अच्छा हो सकता है। फ्लेट के वास्तु दोषों को दूर करने के लिए फ्लैट में वास्तु पूजा करना और वास्तु दोषों को कम करने के लिए उपाय करना। पौधे लगाना और उनकी देखभाल करना। इसके अलावा रंग और प्रकाश का संतुलन बनाए रखना।
इन वास्तु सुझावों का पालन करके आप अपने फ्लैट को अधिक सुखद और समृद्ध बना सकते हैं। आम तौर पर देखा गया है बिल्डर वास्तुनियमों का तो पालन नहीं करते और यदि आपने ऐसी किसी इमारत में फ्लैट ले लिया है और उसमें वास्तु दोष हैं तो इसके लिए अब क्या करें? ऐसे में सबसे पहले आप स्वयं देखें, यदि आपको वास्तु का ज्ञान है तो अन्यथा किसी योग्य वास्तुविद से सलाह लें कि दोष क्या है। -सुमित व्यास, एम.ए (हिंदू स्टडीज़), काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, मोबाइल – 6376188431
दुर्भाग्य से बचना चाहते हैं तो समय रहते दूर करें द्वार वेध दोष का निराकरण




