Saturday, May 11, 2024
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सांपों के पहचान एवं सरंक्षण पर होगा गहन मंथन, डूंगर कॉलेज में होगी राष्‍ट्रीय कार्यशाला

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बीकानेर Abhayindia.com सम्भाग के सबसे बड़़े राजकीय डूंगर महाविद्यालय में गुरूवार 16 फरवरी को एक सरीसर्प विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा। प्राचार्य डाॅ. जी. पी. सिंह ने बताया कि महाविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग बीकानेर के वन विभाग एवं भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित होने वाली राष्ट्रीय कार्यशाला में सांपों की पहचान एवं संरक्षण पर गहन मंथन किया जाएगा।

प्राणीशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. राजेन्द्र पुरोहित ने बताया कि कार्यशाला के सफल संचालन के लिए काॅलेज प्रशासन ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। जिसमें डाॅ. प्रताप सिंह को संयोजक, डाॅ. बलराम सांई एवं प्रो. महेन्द्र सिंह सोलंकी को आयोजन सचिव, डाॅ. अरूणा चक्रवर्ती एवं डाॅ. आनन्द खत्री को को कोषाध्यक्ष तथा तकनीकी प्रभारी का दायित्व डाॅ. मनीषा अग्रवाल एवं डाॅ. अर्चना पुरोहित को दिया गया है। डाॅ. पुरोहित ने कहा कि सोमवार को प्राचार्य कक्ष में कार्यशाला के ब्रोशर का विमोचन किया गया। उन्होंने विद्यार्थियों से इस कार्यशाला में अधिकाधिक संख्या में सहभागिता करने की अपील की।

संयोजक डाॅ. प्रताप सिंह ने बताया कि सांपों को भी जीने का अधिकार होता है तथा समुचित जानकारी के अभाव में आमजन के द्वारा सांपों को देखते ही मार देने की प्रवृति बढ़ रही है जिसके परिणामतः दुनिया भर में सांपों की प्रजातियां कम हो रही हैं।

डाॅ. प्रताप सिंह ने विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि इस प्रकार की कार्यशाला से विद्यार्थियों को विषैले एवं अविषैले सांपों में स्पष्ट भेद करने की जानकारी दी जाएगी। उन्होनें बताया कि कार्यशाला में सांपों को पकड़ने के विभिन्न तरीकों एवं पहचान की विस्तृत जानकारी जाने माने वन्य जीव विशेषज्ञों द्वारा दी जाएगी।

आपको बता दें कि भारत में मिलने वाली लगभग 270 सर्प प्रजातियों मे से कुछ ही विषैली हैं। रसेल वाइपर, सॉ स्केलड वाइपर, कोबरा, करैट मुख्य रूप से बिग फोर कहलाती हैं तथा भारत में सर्प दंश से होने वाली अधिकतर मौतों के लिये ये ही जिम्मेवार होती हैं। राजस्थान में कोबरा को नाग, वाइपर को बांडी, तथा करैट को पीवना के नाम से जाना चाहता हैं, इन साँपों को लेकर आमजन में व्याप्त भ्रान्तियों व भय को दूर करना इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य हैं। इस प्रकार की कार्यशाला से सांपों के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान मिल सकेगा।

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