Friday, April 26, 2024
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आरटीडीसी के होटल निजी क्षेत्र में देने का विचार नहीं, मंत्री ने विधानसभा में दिया जवाब

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जयपुर Abhayindia.com पर्यटन राज्य मंत्री मुरारीलाल मीणा ने मंगलवार को विधानसभा में बताया कि राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के तहत संचालित किसी होटल को निजी क्षेत्र में देने का कोई विचार नहीं है। मीणा ने प्रश्नकाल में इस संबंध में विधायकों द्वारा पूछे गए पूरक प्रश्नों के जवाब में बताया कि राज्य बजट घोषणा के क्रम में आरटीडीसी द्वारा 6 होटल इकाइयाें, जिनमे जयपुर का होटल गणगौर, अजमेर का होटल खादिम, उदयपुर का होटल कजरी, माउण्ट आबू का होटल शिखर, भरतपुर का होटल फोरेस्ट लॉज तथा सरिस्का का होटल टाईगर डेन इकाइयों में रिनोवेशन एवं उन्नयन के लिए विभाग द्वारा राशि स्वीकृत की गई है। उन्होंने बताया कि इन इकाइयों में रिनोवेशन का कार्य आउटसोर्स के माध्यम से किया जाएगा तथा इन्हें निजी क्षेत्र में नहीं दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि बजट घोषणा सात होटल इकाइयों के लिए की गई थी, लेकिन संचालक मंडल की बैठक में हुए निर्णय के आधार पर बहरोड मिड वे का चयन नहीं किया गया। इसके लिए संचालक मंडल ने मुख्यमंत्री से भी सहमति ले ली थी। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने हस्तक्षेप करते हुए बजट घोषणा में बदलाव के बारे में जानकारी प्रश्न के जवाब के साथ संबन्धित मंत्री द्वारा दिये जाने की व्यवस्था के निर्देश दिए।

पर्यटन राज्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2021-22 में जिन होटल के रिनोवेशन के कार्य के लिए राशि स्वीकृत की गई थी। उन पर अब तक व्यय कम हो पाया है। प्रक्रिया में लगे समय के कारण स्वीकृत राशि के विरूद्ध कम व्यय किया जा सका। अब शीघ्र ही कार्य की गति बढ़ाकर इन इकाइयों में रिनोवेशन के कार्य को शीघ्र पूरा कर दिया जाएगा। इससे पहले विधायक कालीचरण सराफ के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में पयर्टन राज्यमंत्री ने बताया कि सरकार द्वारा आरटीडीसी की मुनाफे वाली होटलों को निजी क्षेत्र में देने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

उन्होंने कहा कि आरटीडीसी की 6 इकाइयों के रिनोवेशन के लिए 908.76 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं, जिसका कार्य वर्तमान में प्रगति पर है। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त आरटीडीसी की चार हैरिटेज श्रेणी की इकाइयों के जीर्णोद्धार के लिए 4 करोड रुपये स्वीकृत कर 1.22 करोड़ रुपये व्यय किये जा चुके हैं, जिनका रिनोवेशन कार्य वर्तमान में प्रगति पर है। उन्होंने इन इकाइयों की सूची मय स्वीकृत अथवा व्यय राशि का विवरण सदन के पटल पर रखा।

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