Friday, March 29, 2024
Homeराजस्थान...तो डॉ. विश्वनाथ सहित दस संसदीय सचिव हटेंगे!

…तो डॉ. विश्वनाथ सहित दस संसदीय सचिव हटेंगे!

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

सुरेश बोड़ा/जयपुर/बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। दिल्ली की तर्ज पर प्रदेश में भी दस ससंदीय सचिवों को लाभ के पद पर मानते हुए पद से हटाने को लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय के कड़े रूख को देखते हुए सियासी सरगर्मियां तेज हो गई है। बीकानेर के खाजूवाला क्षेत्र से विधायक डॉ. विश्वनाथ मेघवाल सहित वर्तमान में सुरेश रावत, जितेन्द्र गोठवाल, लादूराम विश्नोई, ओमप्रकाश हूडला, कैलाश वर्मा, नरेन्द्र नागर, भीमा भाई, भैराराम और शत्रुघन गौतम संसदीय सचिव है। इनको हटाने को लेकर लटकी तलवार के चलते राज्य सरकार की मुश्किलें इन दिनों खासी बढ़ गई है।

सूत्रों के मुताबिक पिछले दो दिनों से राज्य के मुख्य सचिव, विधि सचिव और महाधिवक्ता संसदीय सचिव प्रकरण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय एवं चुनाव आयोग द्वारा विभिन्न राज्यों के संबंध में दिए गए अब तक के फैसलों का गहनता से अध्ययन कर रहे हैं। मामले में सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ताओं से सलाह-मशविरा भी हो रहा है। गौरतलब है कि संसदीय सचिवों को लाभ के पद पर मानते हुए इन्हें पद से हटाने को लेकर उच्च न्यायालय में एक याचिका विचाराधीन है। करीब एक वर्ष से यह मामला न्यायालय में लंबित है।

सूत्रों ने बताया कि इस मामले को लटकाए रखने की सरकार की रणनीति के चलते अब तक न्यायालय की ओर से दिए गए नोटिस का जवाब भी नहीं दिया गया है। बीते मंगलवार को इस याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने दो अप्रैल को जवाब पेश करने के निर्देश दिए। याचिकाकर्ता दीपेश ओसवाल ने कहा कि सरकार इस मामले को चुनाव तक लटकाए रखना चाहती है। जवाब के लिए सरकार तीन बार समय मांग चुकी है, इसके बावजूद जवाब पेश नहीं किया गया है।

दीपेश ओसवाल की ओर से न्यायालय में दर्ज याचिका में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय ने जुलाई 2017 बिमोलांगशु रॉय बनाम आसाम राज्य के मामले में दिए गए निर्णय में कहा कि राज्य सरकारों को संसदीय सचिव बनाने का अधिकार नही है, इसलिए संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद्द कराए और सभी 10 संसदीय सचिवों को पद से हटाया जाए। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस का कहना है कि चुनाव आयोग दिल्ली की तरह राजस्थान के संसदीय सचिवों की भी विधानसभा से सदस्यता समाप्त करें।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular