Tuesday, September 17, 2024
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विदेश यात्रा के अवसर खोलता है वायव्य कोण

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वास्तु ग्रन्थ विश्वकर्मा प्रकाश में कहा गया है- “वायव्ये तु वायु स्थानं पवनस्य निवासः तस्मात् तद् दिशमाश्रित्य सर्वे वायव्याः सुखम्” इसका आशय है वायव्य कोण में वायु का निवास है, पवन का घर है। इस दिशा में रहने से सभी प्राणी सुखी होते हैं।” वायव्य कोण का स्वामी चंद्रमा ग्रह है और वायु देव इस दिशा के अधिपति हैं। यह दिशा वायु के प्रवेश के लिए आदर्श स्थान है क्योंकि यह एक प्रकार से गर्म और ठंडे क्षेत्रों का मिलन बिंदु है। वास्तु के अनुसार, यह दिशा विशेष तौर पर महिलाओं के लिए अधिक महत्वपूर्ण है। आपके घर में अगर वायव्य कोण वास्तु सम्मत है तो यह आपकी उन्नति के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध होता है।

वायव्य कोण में बच्चों का कमरा विशेष रूप से बेटी का कमरा बनाना चाहिए। अगर आप इस दिशा में अपनी बेटी का कमरा डिजाइन करते हैं तो इससे उनकी शादी के अवसर खुलते हैं। ऐसे में उनके विवाह में आ रही अड़चनें या बाधाए दूर होती हैं।

सभी दिशाओं में वायव्य दिशा अतिथि कक्ष बनाने के लिए एक बेहतरीन दिशा है। वायव्य दिशा वायु की दिशा है और वायु का गुण है- बहना। यह निरंतर चलती रहती है, इसीलिए यहां पर अतिथि कक्ष बनाया जा सकता है क्योंकि वे भी अधिक वक्त तक नहीं रुकते हैं। इसके अलावा यहां मनोरंजन कक्ष या फैमिली रूम भी बनाया जा सकता है। वास्तु रत्नाकर में कहा गया है – वायव्ये देवतास्तानं धर्मरक्षार्थमादरात्। अप्सरास्मृतयो वापि मारुतश्च यदातिथे॥ इसका आशय है वायव्य कोण में देवताओं का स्थान है। यह स्थान धर्म की रक्षा के लिए आदरपूर्वक आरक्षित है। इस दिशा में अप्सराओं और वायु देवता का भी निवास माना जाता है, जो आगंतुकों के स्वागत के लिए उपयुक्त है।

महाभारत में वायव्य कोण की महत्ता बताते हुए कहा गया है- “वायव्ये तु कुरुश्रेष्ठा ब्रह्मा स्थानं प्रतिष्ठितम् तस्मात् तद् दिशमाश्रित्य देवताः सिद्धिमाप्नुवन्” इसका आशय है वायव्य कोण में ब्रह्मा का स्थान है, और इस दिशा में देवता सिद्धि प्राप्त करते हैं। वायव्य का दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशा से ऊंचा होना भी वायु तत्व में असंतुलन की स्थिति उत्पन्न कर देता है। इससे व्यक्ति अपना अधिकांश वक्त व्यर्थ की और अनावश्यक बातों को सोचने में खर्च कर देता है।

विदेश जाने के इच्छुक लोगों के लिए वायव्य दिशा बेहद महत्वपूर्ण है। इस दिशा का वास्तु सम्मत होना और इस स्थान पर स्थित बेडरूम में सोना व्यक्ति को अपने पैतृक स्थान से दूर जाने में सहायक होता है। अगर व्यक्ति को जल्द ही विदेश यात्रा करनी है तो उसे घर के उत्तर पश्चिम दिशा में रहना चाहिए। अनुभव में पाया गया है कि सब कुछ होते हुए भी विदेश जाने का संयोग नहीं बैठ रहा तो इच्छुक आदमी को अपना पासपोर्ट व अन्य सारे डाक्यूमेंट इस दिशा में रखेंगे तो बाधाएं दूर होगी व उसका विदेश यात्रा का सपना पूरा होगा।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की वायव्य कोण में भारी अल्मारी या तिजोरी नहीं रखी जानी चाहिए। उत्तर-पश्चिम दिशा को अस्थिर दिशा माना गया है। वास्तु शास्त्र कहता है कि इस दिशा में ऐसी कोई चीज़ नहीं रखनी चाहिए, जिसकी हम अपने जीवन में स्थिरता चाहते हैं, और धन ऐसी ही एक चीज़ है। घर की उत्तर-पश्चिम दिशा में तिजोरी या अलमारी रखी जाए तो व्यक्ति के जीवन में पैसा रुकता नहीं है।

घर में बड़े-बुज़ुर्ग काफ़ी महत्व रखते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की उत्तर पश्चिम दिशा में बड़े बुज़ुर्गों का कमरा नहीं बनवाना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, यदि इस दिशा में घर के बड़े बुज़ुर्गों का कमरा होता है, तो इससे उनके सम्मान में कमी आती है। यदि किसी कारणवश रसोईघर आग्नेय कोण में नहीं बनाया जा सकता, तो रसोई कक्ष को भवन के वायव्य कोण में बनाया जा सकता है, बशर्ते इस कक्ष के अग्नि कोण में ही चूल्हा, गैस या स्टोव रखे जायें।

वास्तु नियमों के अनुसार, गैस, चूल्हे का प्लेट फार्म अग्नि कोण में पूर्वी दीवार के सहारे एवं वायव्य कोण में रसोईघर है तो भी उस कक्ष के अग्नि कोण में पूर्वी दीवार के सहारे बनाना सर्वाधिक उपयुक्त है। प्लेट फार्म ‘एल’ आकार में पूर्वी एवं दक्षिण की दीवार के सहारे बनाना चाहिए, जिसमें दक्षिणी दीवार के पास रसोई का अन्य सामान रखने के काम मे ले तथा पूर्वी दीवार के पास चूल्हा, स्टोव रखें। इससे भोजन बनाने वाली का मुख पूर्व दिशा मे होगा जो कि वास्तुनुसार सहीं है।

वायु का प्राण के साथ संबंध हैं। इस लिये भवन के वायव्य कोण के ज्यादा से ज्यादा स्थान को खुला रखना चाहिये। इस कोने में भारी समान नहीं रखना चाहिये या भारी भवन का निर्माण नहीं करना चाहिये अन्यथा श्वास से संबंधित परेशानी, वायुविकार तथा मानसिक रोग होने कि संभावना अधिक बढ़ जाती है। जिस भवन के वायव्य कोण की सतह उत्तर-पूर्व की सतह से थोडी ऊचाई पर एवं दक्षिण-पश्चिम की सतह से थोडी नीची हो वह भवन निवास के लिए शुभ होता हैं। वायव्य कोण में सफेद रंग के फूल लगाने बहुत ही शुभ माने गए हैं। चमेली, चंपा या बेला के फूल लगाने से घर में सकारात्मकता का वास बना रहता है। -सुमित व्यास, एम.ए (हिंदू स्टडीज़), काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, मोबाइल 6376188431

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