Thursday, September 19, 2024
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खुशियों के खजाने की चाबी है आपके घर का ईशान कोण

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वास्तु शास्त्र में कुल 16 दिशाएं मानी हैं जिनमें से 10 प्रमुख है। ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्‍चिम और वायव्य कोण के साथ अधो और ऊर्ध्व। इसमें चारों कोण यानी ईशान, आग्नेय, नैऋत्य और वायव्य कोण महत्वपूर्ण होते हैं। वास्तु शास्त्र में उप दिशा ईशान कोण को घर का सबसे महत्वपूर्ण दिशा माना जाता है। यदि मैं यह कहूं कि यह खुशियों के खजाने की चाबी है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

वास्तु शास्त्र में इस उप दिशा को देवताओं और ब्रह्म का स्थान माना गया है। इस दिशा में वास्तु नियमों का पालन करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और इससे घर में सुख-समृद्धि आती है। इस दिशा में पूजा करने से देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिशा को बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक भी माना जाता है। इस दिशा में अध्ययन करने से एकाग्रता बढ़ती है और ज्ञान प्राप्ति में सहायता मिलती है। ईशान कोण स्वास्थ्य का भी प्रतीक है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिशा में दीवारों पर केसरिया रंग करने से स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। ईशान कोण वृद्धि और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिशा में पानी रखने से धन-दौलत में वृद्धि होती है।

ईशान कोण में पूजा स्थान बनाना सबसे शुभ माना जाता है। यहां भगवान की मूर्तियां या तस्वीरें रखें। घर का निर्माण करते समय ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने का जगह छोड़ना चाहिए। तुलसी का पौधा ईशान कोण में रखने से माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।

शंख को ईशान कोण में रखना शुभ माना जाता है। शंख को जल से भरकर उसमें कुछ तुलसी के पत्ते डालकर रखें। शंख को देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। ईशान कोण में शंख रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।ध्यान रहे शंख का मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

ईशान कोण के मंदिर में मंगल कलश की स्थापना करें। इसके लिए सबसे पहले मंगल कलश में साफ और स्वच्छ जल भरकर उसमें एक सिक्का डाले साथ ही एक सुपारी भी रखें। कलश में दूर्वा, चंदन, हल्दी, अक्षत, पान, सुपारी, लौंग और इलायची डालें, उसके बाद कलश के कंठ पर कलवा जरूर बांध दें। कलश के ऊपर एक नारियल रख दें, नारियल रखने से पहले कलश में 5, 7 या 11 आम के पत्ते रखकर ही नारियल रखें। अगर आप वास्तु शास्त्र के नियम अनुसार मंगल कलश की स्थापना कर रहे हैं, तो इसके लिए ईशान कोण सबसे उत्तम दिशा है। ईशान में मंगल कलश रखने से जीवन में सब कुछ मंगल ही मंगल होता है।

वास्तु के अनुसार ईशान कोण में किन
चीजों को होना वर्जित होता है...

टॉयलेट : ईशान कोण में कभी भी टॉयलेट नहीं बनाना चाहिए।

कूड़ा-करकट : ईशान कोण को हमेशा साफ-सुथरा रखना चाहिए। यहां कूड़ा-करकट नहीं रखना चाहिए।

जूते चप्पल रखना : इस दिशा में जूते चप्पल रखने से बचना चाहिए। साथ ही कोशिश करें घर के ईशान कोण को साफ-सुथरा रखें।

काले रंग की वस्तुएं : ईशान कोण में काले रंग की वस्तुएं को रखना अशुभ माना जाता है। इसलिए इस दिशा में काले रंग की वस्तुओं को रखने से बचना चाहिए।

वास्तु के अनुसार, भूलकर भी घर के ईशान कोण में कोई भी भारी चीज नहीं रखनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि यदि आप इस स्थान पर भारी चीज रख देते हैं तो सकारात्मक ऊर्जा का संचार रुक जाता है, जिससे आपको धन हानि हो सकती है। ईशान कोण में स्टोर रूम आदि बनाने से बचना चाहिए। देवी-देवताओं का वास होने के कारण कभी भी इस दिशा में जूते, चप्पल या फिर कूड़ा कचरा इकठ्ठा न करें। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और घर में परेशानियां आने लगती हैं।

ईशान कोण में टॉयलेट, सेप्टिक टैंक्स, पानी की टंकी, सीढियां, स्टोर, रसोई आदि का निर्माण नहीं करना चाहिए क्योंकि इस से मानसिक परेशानी बढ़ती है। हमारा दिमाग कैसे काम करता है और कैसे उसकी निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है, ये ईशाण कोण दिशा पर निर्भर करता है। ऐसे में इस दिशा में कभी काले, नीले रंग की दिवारें न रखें।

ईशान कोण में खराब हो चुके किसी
सामान को नहीं रखना चाहिए

घर के मुख्य द्वार का इस दिशा में होना वास्तु की दृष्टि से बेहद शुभ माना जाता है। यदि आपका मकान ईशानमुखी है तो अति उत्तम है। बस आपको शौचालय, किचन और शयन कक्ष को वास्तु के अनुसार रखना चाहिए। यदि दरवाजा ईशान में है तो यह शांति, उन्नति व समृद्धि मिलेगी। उत्तर और ईशान के दरवाजों में ध्यान रखने वाली खास बात यह है कि सर्दियों में घर में ठंडक रहती है तो गर्माहट का अच्छे से इंतजाम करें। साथ ही ईशान कोण के दारवाजे के बाहर का वास्तु भी अच्छा होना चाहिए। इस दिशा से भी लगातार वायु का प्रवाह बना रहता है।

वास्तु के अनुसार, घर के ईशान कोण में शयनकक्ष शुभ नहीं माना गया है। इससे दांपत्य जीवन में समस्याएं बढ़ने की आशंका रहती है। कई बार लाख प्रयास के बावजूद भी वास्तु दोष रह जाता है ऐसे हालात में इस दोष से मुक्ति के लिए एक घड़ा बरसात के पानी से भरकर उसे मिट्टी के बर्तन से ढक कर ईशान कोण में दबा दें। -सुमित व्यास, एम.ए. (हिंदू स्टडीज़), काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी मोबाइल – 6376188431

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