Sunday, March 9, 2025
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वास्तु से बना मुख्य द्वार बन सकता है समृद्धि का प्रवेश द्वार

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हमारे घर का मुख्य द्वार घर मे आने वाली सुख समृद्धि का प्रवेश द्वार है। जिस प्रकार से मनुष्य की ऊर्जा का स्त्रोत भोजन है उसी तरह घर की ऊर्जा वहाँ रहने वाली सकारात्मक सोच है और मुख्य द्वार इस सकारात्मक ऊर्जा को प्रभावित करता है। मुख्य द्वार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि के लिए प्रवेश बिंदु का प्रतीक है।

वास्तु सिद्धांतों के अनुसार, एक अच्छी तरह से डिज़ाइन किया गया और ठीक से रखा गया मुख्य द्वार सकारात्मक कंपन के प्रवाह को बढ़ा सकता है और एक सामंजस्यपूर्ण रहने का वातावरण बना सकता है। मुख्य द्वार को समृद्धि और प्रचुरता का प्रवेश द्वार माना जाता है। मुख्य द्वार के लिए वास्तु सिद्धांतों का पालन करने से आपके घर में सकारात्मक कंपन और अवसरों को आकर्षित करने में मदद मिलती है, जिससे रहने वालों की समग्र समृद्धि और कल्याण में वृद्धि होती है।

घर का मुख्य द्वार बाहर की ओर खुलने वाला नहीं होना चाहिए। घर के मुख्यद्वार का दरवाजा अंदर की ओर खुलना चाहिए। अनुभव में आया है कि बाहर की ओर खुलने वाले दरवाजे का मतलब है कि घर की सारी बरकत और आबो-हवा बाहर चली जाएगी। कुछ दरवाजे ऐसे होते हैं जिनमें खिड़कियां होती हैं ऐसे दरवाजों में वास्तुदोष हो सकता है। घर के सभी खिड़की व दरवाजे एक समान ऊंचाई पर होने चाहिए। जब भी मेन गेट बनवा रहे हैं तो इस बात का जरूर ध्यान रखें कि वह टी-जंक्शन या टी-चौराहे के सामना न बना हो क्योंकि इससे घर में अनिष्ट शक्तियाँ अधिक घुसने लगती है।

वास्तु के अनुसार, मुख्य द्वार की दिशा हमेशा ईशान कोण, उत्तर, पूर्व या पश्चिम की ओर होनी चाहिए, क्योंकि ये दिशाएं शुभ मानी जाती हैं। मुख्य प्रवेश द्वार दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण, उत्तर-पश्चिम (उत्तर की ओर) या दक्षिण-पूर्व दिशाओं में होने से बचना चाहिए। घर के मुख्य द्वार को आकर्षक बनाकर रखें। तोरण लगाएं। मुख्य द्वार पर स्वास्तिक, ऊं या कोई शुभ चिह्न बनाएं। घर के मुख्य द्वार के सामने तुलसी एवं केले का पौधा लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। सभी वास्तु दोषों से मुक्ति मिलती है। घर के द्वार पर घंटियों की झालर लगाएं। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं कर पाती है।

मुख्य द्वार के सामने खंभा होना भी अच्छा नहीं माना गया है। मान्यता है कि इससे घर में गृह-क्लेश की स्थिति बनती है। परिजनों और बिजनेस पार्टनर्स से विचार मेल नहीं खाते हैं। जिससे तरक्की की राह में अवरोध उत्पन्न हो सकते हैं। मुख्य द्वार के सामने सेप्टिक टैंक, बोरिंग नहीं होना चाहिए। कई मामलों में देखा गया है इससे आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। वास्तु के अनुसार, मुख्यद्वार के मेनगेट को खोलते या बंद करते समय किसी भी तरह की आवाज नहीं आना चाहिए। ऐसी ध्वनि पारिवारिक जीवन में परेशानियां ला सकती हैं।

वास्तु के अनुसार, मुख्य द्वार की ओर जाने वाला रास्ते में अंधेरा नहीं होना चाहिए क्योंकि यह निगेटिव एनर्जी को आकर्षित करता है। जिसके कारण घर में रहने वाले लोगों के बीच तनाव हो सकता है। इसलिए हमेशा प्रवेश द्वार में प्रकाश आना चाहिए। इससे घर में समृद्धि को आकर्षित होगी। घर के प्रवेश द्वार में किसी भी तरह की छाया नहीं पड़नी चाहिए। इसलिए खंभा, पेड़ या किसी अन्य चीजें मुख्य द्वार की ओर नहीं होने चाहिए। मुख्य द्वार के सामने या आस-पास गंदगी या कबाड़ नहीं रखना चाहिए, वरन यह हमेशा साफ सुथरा रहना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करेगी। कई लोगों की आदत होती है कि वह घर में प्रवेश करते समय मुख्य दरवाजे पर ही चप्पल खोल कर चले जाते हैं। लेकिन यह सही नहीं है। हमेशा जूते चप्पलों को किनारे में सही तरीके से रखना चाहिए। बीच दरवाजे पर जूते रखने से बचना चाहिए।

वास्तु के अनुसार, घर के मुख्य द्वार पर झाड़ू भी नहीं रखनी चाहिए। दरअसल, झाड़ू को लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, ऐसे में दरवाजे पर झाड़ू रखने से आते-जाते लोगों का पैर उस पर पड़ सकता है। इससे घर में धन आगमन में रुकावट पैदा हो सकती है।

इसके अलावा घर के मुख्य दरवाजे के ठीक सामने कांटेदार पेड़-पौधे भी नहीं लगाने चाहिए। इससे घर में बेवजह तनाव जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। दरवाजे को हल्के रंगों जैसे मिट्टी के लकड़ी के रंगों, हल्के पीले या किसी भी पीले रंग के रंगों का प्रयोग करना चाहिए। यह शीघ्र सकारात्मकता की ओर ले जाता है। मुख्य प्रवेश द्वार को काले रंग से नहीं रंगना चाहिए। घर के मुख्य दरवाजे के सामने हमेशा डोर मैट रखने से नकारात्मक शक्तियां बाहर ही रह जाती हैं। मुख्य दरवाजे पर दहलीज हो तो घर में सकारात्मक ऊर्जा के साथ मां लक्ष्मी का आगमन होता है। -सुमित व्यास, एम. ए. (हिंदू स्टडीज़), काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, मोबाइल – 6376188431

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