







जयपुर (अभय इंडिया न्यूज)। प्रदेश के गेंहू घोटाले की आरोपी आईएएस अधिकारी निर्मला मीणा ने आखिरकार जोधपुर स्थित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) कार्यालय में सरेंडर कर दिया। निर्मला पर जोधपुर में जिला रसद अधिकारी रहते हुए गरीबों को बांटे जाने वाले गेंहू आटा मिलों में बेचने का आरोप है। पहले सैशन कोर्ट, हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद से ही निर्मला मीणा भूमिगत चल रही थी।

एसीबी में मामला दर्ज होने के बाद से फरार चल रही निर्मला मीणा और उसके पति पवन मित्तल के खिलाफ 12 मई को ही एसीबी ने आय से अधिक सम्पति का मामला दर्ज किया था। एसीबी के पुलिस अधीक्षक अजयपाल लांबा ने बताया कि निर्मला मीणा और पवन मित्तल पर 10 साल में उदयपुर, जयपुर, माउंट आबू सहित कई स्थानों पर बेशकीमती 13 सम्पतियां अर्जित करने का आरोप है। ये माउंट आबू में एक होटल के मालिक है। सीज के गए 8 विभिन्न बैंकों में इनके खातों से 42 लाख रूपए नकद, 17 लाख रूपए की एफडीआर और 22 बीघा जमीन के दस्तावेज भी मिले हैं ।
जिला रसद विभाग में करीब आठ करोड़ रुपए के गेहूं के घोटाले में मुख्य आरोपी निलम्बित आईएएस अधिकारी निर्मला मीणा ने गिरफ्तारी से बचने के सभी रास्ते बंद होने के बाद आखिरकार बुधवार को एसीबी के समक्ष सरेंडर कर दिया। करीब 35 हजार क्विंटल गेहूं के घोटाले में फंसी तत्कालीन रसद अधिकारी निर्मला मीणा ने एसीबी की गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत हासिल करने का प्रयास कियाए लेकिन दोनों कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद से उनके समक्ष सरेंडर करने के अलावा कोई विकल्प भी नहीं बचा था।
सुप्रीम कोर्ट ने गत सप्ताह जोधपुर के बहुचर्चित गेहूं घोटाले में निलम्बित आईएएस अधिकारी निर्मला मीणा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद कई दिनों से भूमिगत चल रही निर्मला के समक्ष सरेंडर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। गिरफ्तारी से बचने के सारे रास्ते बंद होने के बाद आखिरकार कल दोपहर वे कपड़े से पूरी तरह अपना चेहरा ढंक कर सरेंडर करने एसीबी कार्यालय पहुंच गई। एसीबी ने उन्हें गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू की है।



