बीकानेर abhayindia.com सूर्य ग्रहण को लेकर बीकानेर के लोगों में जबरदस्त उत्सुकता दिखी, हालांकि श्रद्धालुओं ने सूर्य ग्रहण का नजार देखने से परहेज किया।
बीकानेर में कई स्थानों पर ग्रहण के समय सूर्य अंगूठी की तरह दिखा। जबकि दक्षिण भारत में 70 प्रतिशत से अधिक ग्रसित ग्रहण भारत के कई क्षेत्रों में खंडग्रास रूप में दृश्यमान ओर दक्षिण के क्षेत्रों बेंगलुरू, मदुराई आदि जगहों पर कंकणाकृति में रूप में नजर आया।
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बीकानेर में बच्चों बड़ों ने टेलिस्कोप और विशेष चश्मों की सहायता से सूर्य ग्रहण देखा। पंडितों के मुताबिक कुल दो घंटे 42 मिनट के इस ग्रहण का सूतक काल बीकानेर में 12 घंटे पूर्व 25 दिसम्बर को रात्रि 8.09 बजे से शुरू हो गया था। ग्रहण के मोक्ष होने तक शहर के सभी मंदिरों के कपाट बंद रहे। मंदिरों में 26 दिसम्बर को मंदिरों में सुबह होने वाली आरती भी प्रभावित हुई।
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शहर में ग्रहण की अवधि स्पर्श सुबह 8.09 बजे मध्य 9.23 बजे और मोक्ष 10.51 बजे हुआ। पंचागीय गणना के अनुसार पौष मास की अमावस्या पर गुरुवार मूल नक्षत्र वृद्धि योग नागकरण में कंकण आकृति का सूर्यग्रहण धनु राशि में हुआ। ज्योतिषाचार्य पं. मुरलीधर व्यास ने बताया कि सूर्यग्रहण को बगैर टेलीस्कोप अथवा उपयुक्त उपकरण के देखना वैज्ञानिक कारणों से भी आंखों के लिए नुकसानदायक माना गया है।
पंडित गेवरचंद भादाणी ने बताया कि 500 साल में पहली बार छह ग्रहों पर असरकारक सूर्यग्रहण का असर विभिन्न राशियों पर भी अलग-अलग होगा। धनु राशि पर क्रमश: सूर्य, चन्द्र, गुरु, शनि व केतु इन पांच ग्रहों का युति संबंध रहेगा। इसका प्रभाव सातवीं दृष्टि से मिथुन राशि पर गोचरथ राहु पर बनेगा। ग्रहों की स्थिति व्यापारिक, राजनीतिक व प्राकृतिक दृष्टि से उथल-पुथल की आशंका रहेगी।
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शनि मूल नक्षत्र धनु राशि में दक्षिण पश्चिम कोण प्रभावित करने से भारी उलटफेर होगा। धनुराशि के राशि के जातकों के लिए ग्रहण नुकसानदायक रहेगा। सूर्यग्रहण से गृहयुद्ध, उत्पात, भूकंप, प्राकृतिक प्रकोप की घटनाओं में बढ़ोतरी होगी। कर्क, तुला, कुंभ और मीन के लिए ग्रहण श्रेष्ठ फलदायी माना गया है। मेष, मिथुन, सिंह तथा वृश्चिक राशि के जातकों के लिए ग्रहण मध्यम रहेगा। वृषभ, मकर तथा कन्या राशि के जातकों के लिए पूजनीय है।
सूर्यग्रहण के कारण गुरूवार को धर्मनगरी के लोग सुबह से दोपहर तक भक्ति भजनों में लीन रहे। इस दौरान मंदिरों और धार्मिक स्थलों में भजन वाणियों गूंजती रही,वहीं दानपुण्य और हवन यज्ञ का दौर भी जारी रहा। ग्रहण के प्रभाव को मानने वाले परिवारों में दिनचर्या 10.57 बजे सूर्य ग्रहण के मोक्ष के बाद ही शुरू हुई। इससे पहले कई घरों में पूजा पाठ किए गए वहीं कुछ लोगों ने पहले से ही निकाल कर रखी सामग्री का दान किया।