जयपुर abhayindia.com कला, साहित्य और संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा है कि उर्दू हमारे मुल्क की गंगा-जमुनी तहजीब और आम हिंदुस्तानी की ऐसी भाषा है, जो सीधे दिल में उतरकर जोश, जुनून और अलग ही जज्बा पैदा करती है। स्वतंत्रता आंदोलन में उर्दू ने लोगों में देशभक्ति का जज्बा जगाते हुए मुल्क को आजाद कराने में अग्रणी भूमिका निभाई। आज भी मुल्क के प्रति प्रेम, मोहब्बत और भाईचारे के भावों को जगाने का काम मिठासभरी उर्दू के जरिए बदस्तूर जारी है।
डॉ. कल्ला शनिवार को जयपुर के होटल क्लार्क्स आमेर में नेशनल काउंसिल फोर प्रोमोशन उर्दू लेंग्वेजेज, नई दिल्ली (एनसीपीयूएल) द्वारा राजस्थान उर्दू अकादमी के सहयोग राज्य में उर्दू की बेहतरी के लिए मदरसों तथा गैर सरकारी संगठनों की समस्याओं और आपसी सहयोग के विषय पर आयोजित एक दिवसीय सेमीनार के उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे।
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कला, साहित्य और संस्कृति मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार उर्दू भाषा को बढ़ावा देते हुए इसकी सूरत-ए-हाल में सुधार की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने प्रत्येक कार्यकाल में मदरसों के आधुनिकीकरण की सोच के साथ कार्य करते हुए उर्दू को सशक्त करने की पहल की है। प्रदेश में उर्दू के माध्यम से मॉडर्न एजूकेशन, कम्प्यूटर एजूकेशन और रोजगार प्राप्त कर युवा आगे बढ़ रहे हैं। प्रदेश में मदरसों के आधुनिकीकरण के साथ-साथ रियायती शिक्षा भी दी जा रही है। मदरसों में उर्दू साहित्य और जुबान को सिखाते हुए बच्चों को तालीम दी जाती है।
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डॉ. कल्ला ने नेशनल काउंसिल फोर उर्दू लेंग्वेजेज, नई दिल्ली के निदेशक से गुजारिश की कि वे अपनी स्कीमों को राजस्थान में अधिक से अधिक लागू कर यहां के मदरसों को फायदा पहुंचाएं। राजस्थान उर्दू अकादमी इन योजनाओं को आगे ले जाकर पूरे राजस्थान में लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने राजस्थान के नामी-गिरामी लेखकों को भी अधिक संख्या में एनसीपीयूएल की योजनाओं से जोड़कर उनके सृजन को प्रकाशित करने का भी आग्रह किया।
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नेशनल काउंसिल फोर प्रोमोशन उर्दू लेंग्वेजेज, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. अकील अहमद ने कहा कि उर्दू सूफी-संतों और दिलों को जोड़ने वाली भाषा है, जो पूरे मुल्क में बोली जाती है, यह हमारे मुल्क की तहजीब का आईना है। उन्होंने कहा कि एनसीपीयूएल भारत सरकार की एक स्वायतशाषी संस्था है, जो निरंतर उर्दू की मकबूलियत और तरक्की के लिए कार्य कर रही है। उर्दू को प्रोत्साहन देने के लिए हम कई योजनाएं चलाते है, जो वेबसाईट पर उपलब्ध है।
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देश में इस वेबसाईट के माध्यम से उर्दू को सीखने और जानने के लिए भी लोग रूचि दिखा रहे हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उर्दू के नामचीन शायर शीन काफ निजाम ने इस आयोजन के लिए राजस्थान उर्दू अकादमी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जबाने कभी मजबबी नहीं होती, वे तहजीब में होती है। उर्दू को मुशायरों ने पहचान दी है। इसके विकास के लिए जरूरी है कि लोग उर्दू को पढ़ें। लोग मुशायरों में शायरी सुनने जाते हैं, मगर शायरों की किताबें नहीं खरीदते, बिना पढ़े जबान पूरी तरह विकसित नहीं हो सकती।