जयपुर (अभय इंडिया न्यूज)। सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाने में सरकार के मंत्री भी पीछे नहीं है। मंत्री पद पर रहते हुए उनकी संपत्ति में हर साल कितना इजाफा हुआ, इसकी सूचना उन्होंने कभी सार्वजनिक नहीं की। जबकि चुनाव आचार संहिता में स्पष्ट लिखा है कि मंत्रियों को हर साल अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करना होगा।
सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट सचिवालय की ओर से मंत्रियों को बीते 5 वर्षों में 6 बार रिमाइंडर भी भेजे गए। यही नहीं तत्कालीन विधायक डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने भी विधानसभा में सरकार से मंत्रियों की संपत्ति का ब्योरा मांगा था, लेकिन उनका सवाल भी फाइलों में बंद होकर रह गया। इसके बाद मीणा भाजपा में शामिल होकर सांसद भी बन गए।
सूत्रों ने यह भी बताया कि मौजूदा मंत्रियों की संपत्ति का ब्योरा देने के बजाय कैबिनेट सचिवालय ने पिछली सरकार के मंत्रियों का ब्योरा भी वेबसाइट से हटा दिया है। जब कैबिनेट सचिवालय के अफसरों से इस बारे में पूछा गया तो कोई जवाब देने के लिए तैयार नहीं हुआ।
3 साल में एक बार भी नहीं दिया ब्यौरा
कैबिनेट सचिवालय ने मंत्रियों से 2013-14, 14-15 व 15-16 में वर्षवार संपत्ति का ब्योरा मांगा था। इसमें टीएडी मंत्री नंदलाल मीणा, यूडीएच मंत्री श्रीचंद कृपलानी, श्रम मंत्री जसवंत यादव, राजस्व मंत्री अमराराम, उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत, राज्य मंत्री पंचायती राज धनसिंह रावत, राज्य मंत्री स्वास्थ्य विभाग बंशीधर बाजिया, राज्य मंत्री पीएचईडी सुशील कटारा ने तीनों सालों में एक बार भी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया।
बता दें कि 2014-15 में सात मंत्रियों राजेंद्र राठौड़, सुरेंद्र गोयल, अरुण चतुर्वेदी, कृष्णेंद्र कौर, अनिता भदेल, सुरेंद्र पाल सिंह, ओटाराम ने ही संपत्ति का ब्यौरा दिया, जबकि 15-16 में राज्य मंत्री कमसा मेघवाल को छोड़कर किसी ने भी संपत्ति सार्वजनिक नहीं की।
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