बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। पुष्करणा सावा संस्कृति को बचाए रखने, इसको बढ़ाने, फिजूलखर्ची नहीं करने व कुरीयिों को मिटाने में महिलाओं की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा बनती है। ये विचार आरजेएस प्रीति व्यास ने रमक झमक संस्थान के महिला सम्मेलन में अतिथि के रूप में कही। उन्होंने कहा कि घर–परिवार के रीति–रिवाज ज्यादा महिलाओं को पता है और वो ही आगे बढ़कर मूल परम्परा को बचा कर संस्कृति को बचा सकती हैं।
सम्मेलन में डॉ. कृष्णा आचार्य ने कहा कि पूरी दुनिया की नजर पुष्करणा समाज के इस सावा ओलम्पिक पर है। ऐसे में सावे के आयोजन को लेकर हमारा दायित्व और अधिक बढ़ जाता है। शिक्षिका इंद्रा व्यास ने कहा कि सावे में फिजूलखर्ची पर अंकुश लगना चाहिए। अध्यापिका कुसुम लत्ता जोशी ने कहा कि समाज के बच्चों में अच्छे संस्कार व अच्छी परम्पराएँ स्कूल समय से ही सिखाई जाए। गायिका नीलिमा बिस्सा ने कहा कि परम्परा व रीति–रिवाज का पालन अच्छे से हो, इसलिये घर के आदमी भी उनका साथ दें ये भी जरूरी है। कवयित्री सुमन ओझा ने कहा कि परंपरा बचेगी तो ही संस्कृति बच सकेगी।
सम्मेलन में रिकू ओझा, राजस्थानी गीत गायिका शोभा देराश्री, नीलम पुरोहित, शिवकुमारी पुरोहित, शिव प्यारी किराडू, विजय लक्ष्मी पुरोहित, लक्ष्मी ओझा व प्रियंका पुरोहित सहित अनेक महिलाओं ने कम खर्च में और कुरीतियों को मिटाने में महिलाओं को आगे आने का आह्वान किया। सम्मेलन की अध्यक्षता रामकंवरी ओझा ने की। इससे पहले प्रीति ओझा ने विषय प्रवर्तन। रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा भैंरु ने बताया कि सभी महिलाओं ने रमक झमक को आश्वश्त भी किया कि वे सावा को सुंदर बनाने में अपना योगदान देगी।