Saturday, April 27, 2024
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राज्‍यसभा में मोदी का भाषण- कीचड़ उसके पास था, मेरे पास गुलाल, जो भी जिसके पास था, उसने दिया उछाल

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नई दिल्‍ली Abhayindia.com प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राज्‍यसभा में राष्‍ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब देने पहुंचे। उनके भाषण शुरू करने से पहले ही विपक्षी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे के बीच पीएम मोदी ने कहा कि सदन में जो भी बात होती है, उसे देश गंभीरता से सुनता है और गंभीरता से लेता है। लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोगों की वाणी न सिर्फ सदन को, बल्कि देश को निराश करने वाली है। उन्‍होंने कहा कि इस प्रकार की प्रवृत्ति के सदस्यों को यही कहूंगा कि कीचड़ उसके पास था, मेरे पास गुलाल। जो भी जिसके पास था, उसने दिया उछाल। जितना कीचड़ उछालोगे, कमल उतना ही ज्यादा खिलेगा। कमल खिलाने में प्रत्यक्ष या परोक्ष आपका जो भी योगदान है, इसके लिए मैं उनका भी आभार व्यक्त करता हूं। आपको बता दें कि विपक्षी की नारेबाजी का दौर पीएम मोदी के भाषण के दौरान भी जारी रहा।

पीएम मोदी ने कहा कि कल विपक्ष के खड़गेजी ने कहा कि 60 साल में उन्होंने मजबूत बुनियाद बनाई। उनकी शिकायत थी कि बुनियाद हमने बनाई और क्रेडिट मोदी ले रहा है। 2014 में आकर जब मैंने बारीकी से चीजों को देखने का प्रयास किया तो नजर आया कि 60 साल कांग्रेस के परिवार ने गड्ढे ही गड्ढे कर दिए थे। उनका इरादा नेकी का होगा, लेकिन गड्ढे कर दिए थे। उन्‍होंने कहा कि पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक इन्हीं की दुनिया चलती थी। देश भी आंख बंद करके उनका समर्थन करता था, लेकिन उन्होंने ऐसी कार्यशैली और कल्चर बनाया कि एक भी चुनौती का परमानेंट सॉल्यूशन निकालने का न सोचा, न सूझा और न प्रयास किया। हमारी सरकार की पहचान पुरुषार्थ के कारण बनी है। एक के बाद एक उठाए गए कदमों के कारण बनी है। आज हम परमानेंट सॉल्यूशन की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

उन्‍होंने कहा कि खड़गेजी शिकायत कर रहे थे कि मोदीजी बारबार मेरे चुनावी क्षेत्र में आते हैं। मोदीजी कलबुर्गी आ जाते हैं। मैं आता हूं शिकायत करने से पहले ये भी देखो कि कर्नाटक में 1 करोड़ 70 लाख जनधन अकाउंट खुले हैं। उन्हीं के इलाके में 8 लाख से ज्यादा ऐसे खाते खुले हैं। अब बताइए इतने खाते खुल जाएं, लोगों को ताकत मिल जाए और किसी का इतने सालों के बाद खाता बंद हो जाए तो उनकी पीड़ा मैं समझ सकता हूं। बारबार उनका दर्द झलकता है। कभी यहां तक कह देते हैं कि एक गरीब को हरा दिया। उन्हीं के इलाके की जनता ने दलित तो जिता दिया। जनता आपका खाता बंद कर रही है और आप रोना यहां रो रहे हो। हमने सीधे जनधन खाते में लाभार्थियों को पैसे भेजे। हम नया इको सिस्टम लाए। जिन लोगों को पुराने इको सिस्टम के फायदे मिलते थे, उनका चिल्लाना स्वाभाविक है। पहले परियोजनाएं लटकाना, भटकाना कल्चर था। हमने टेक्नोलॉजी का प्लेटफॉर्म तैयार किया और इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट को गति देने का काम हो रहा है। योजनाएं बनाने में महीनों लगते थे, आज सप्ताहभर में योजनाएं आगे बढ़ा दी जाती हैं।

कोई भी जब सरकार में आता है तो देश के लिए कुछ करने के वादे करके आता है। जनता का भला करने के वादे करके आता है। सिर्फ भावनाएं व्यक्त करने से बात नहीं बनती है। जैसे कभी कहा जाता था गरीबी हटाओ, 4 दशक में कुछ नहीं हुआ। विकास की गति क्या है,विकास की नीयत, उसकी दिशा, प्रयास, परिणाम क्या है ये बहुत मायने रखता है। जनता की आवश्यकताओं के लिए मेहनत करते हैं तो दबाव बढ़ता है, परिश्रम ज्यादा करना पड़ता है। गांधीजी कहते थे, श्रेय और प्रिय। हमने श्रेय का रास्ता चुना और प्रिय लगने वाला रास्ता छोड़ा। दिनरात मेहनत करेंगे, लेकिन जनता की उम्मीदों को चोट नहीं पहुंचने देंगे।

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