बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज़)। वरिष्ठ प्रखर पत्रकार व पर्यावरणविद् एवं बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति के पूर्व अध्यक्ष शुभू पटवा की पार्थिव देह की अंत्येष्टि गुरुवार को जवाहर स्कूल के पास भीनासर में की गई। अंत्येष्टि में बड़ी संख्या में गणमान्य लोगों, जन प्रतिनिधियों व पत्रकारों ने उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी। भीनासर गोचर आंदोलन से जुड़े पटवा, आकाशवाणी, जनसत्ता सहित विभिन्न अखबारों से जुड़े रहे। उन्होंने जैन श्वेताम्बर तेरापंथ की एक मैग्जिन का भी अनेक वर्षों तक संपादन किया। स्वयं का भी कई वर्षों तक अखबार प्रकाशित किया। पटवा पिछले कई दिनों से अस्वस्थता के कारण पी.बी.एम. में ईलाज करवा रहे थे। बुधवार रात को वे अरिहंत शरण हो गए थे। गुरुवार को उनकी पार्थिव देह को मुखाग्नि उनके पुत्र जयंत पटवा ने दी।
उनकी अंत्येष्टि में पूर्व विधायक आर.के.दास गुप्ता, बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति के अध्यक्ष डॉ. श्रीलाल मोहता, मानद सचिव डॉ. ओम कुवेरा, व्यवस्था सचिव अविनाश भार्गव, रामलाल सोनी, आनंद पुरोहित, ओमप्रकाश सुथार, तलत रियाज, श्रीमोहन आचार्य, राजकुमार व्यास, उमाशंकर आचार्य, गौरीशंकर आचार्य, महेश उपाध्याय, ओम सोनी,महापौर नारायण चौपड़ा, नूर मोहम्मद गौरी, डॉ.धनपत कोचर, डॉ.साबीर, हेमशर्मा, श्याम शर्मा, शिव चरण शर्मा, सुरेश बोड़ा, दिलीप भाटी, मिलन गहलोत, जयकिशन गहलोत, भवानी सोलंकी, डॉ. जयश्री मुरली मनोहर सहित अनेक पत्रकारों, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ गंगाशहर, भीनासर व बीकानेर के पदाधिकारियों, जैन समाज के प्रतिष्ठित लोगों व विविध क्षेत्रों के गणमान्य लोगों ने पटवा को श्रद्धांजलि दी।
सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के उप निदेशक विकास हर्ष, सहायक प्रशासनिक अधिकारी शिव कुमार सोनी ने पटवा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि दी है। शुक्रवार को बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति सभागार में उनको श्रद्धाजंलि अर्पित की जायेगी। उल्लेखनीय है कि पटवा जी पत्रकारिता के साथ–साथ साहित्य से भी निरंतर और सक्रिय उनका जुड़ाव रहा। शतरंज का प्यादा, फफोले तथा उस दिन उनकी प्रकाशित कथा–कृतियां है। पर्यावरण के क्षेत्र में उनकी बहुचर्चित पुस्तक पर्यावरण की संस्कृति के एकाधिक संस्करण प्रकाशित हुए है और उन्हें राष्ट्रीय ख्याति मिली थी। पटवा जी को 30 मार्च, 1989 को राजस्थान दिवस के उपलक्ष्य में पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित भी किया गया था। जुलाई 1998 में पटवाजी ने अमरीका की ओर से पर्यावरण और धर्म पर आयोजित सेमिनार में जैन सिद्धांत में पर्यावरण चेतना विषय पर पत्रवाचन किया था।