Friday, May 3, 2024
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गायों के लिए बनाई गुड़ की लापसी, स्‍टूडेंटस बोले- गायों की सेवा ही सर्वोपरि सेवा

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बीकानेर Abhayindia.com आज से नालन्दा पब्लिक सी. सै. स्कूल की करूणा क्लब की इकाई की ओर से पशु-पक्षियों के संरक्षण एवं विलुप्त प्रजातियों की जानकारी छात्र-छात्राओं तक पहुंचाने के लिए पशु कल्याण पखवाडे़ का आयोजन किया जा रहा है।

‘पशु कल्याण पखवाडे’ का उद्घाटन करते हुए स्थानीय पशु चिकित्सालय के नृसिंग अधिकारी सोमपाल ने छात्र/छात्राओं को इस मौसम में पशुओं में होने वाली प्रमुख बीमारियां-हिडकाउ होना, अपाचन व उसके निराकरण के बारे में बताया।नृसिंग अधिकारी सोमपाल ने बताया कि जिस प्रकार कोरोना काल के बाद आज तक हमारे स्वास्थ्य पर कोरोना का प्रभाव है। इसी प्रकार जानवरों में विशेषकर गायों, बैलों, भैसों में लम्पी बीमारी के उनके स्वास्थ्य पर भी आज तक बुरा असर हमें दिखाई दे रहा है।

नृसिंग अधिकारी सोमपाल ने छात्र/छात्राओं से कहा कि आप भी अगर किसी भी पशु में अगर कोई अचानक नया परिवर्तन देखते हैं और आपको लगता है यह उसके स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से सही नहीं है तो इसकी तत्काल सूचना आपको संबधित पशु चिकित्सालय देनी चाहिए।

शाला प्राचार्य राजेश रंगा ने बताया कि इस पखवाडे के तहत पशु क्रुरता, कत्लखानों के दुष्प्रभावों, निराश्रित पशुओं की सेवा जैसे आयोजन किये जाए जिससे कि छात्र/छात्राओं में मूक प्राणियों के प्रति दया करूणा के भाव के साथ-साथ परोपकार की भावना का विकास हो सके और इसी तरह हम हमारे सहयोग से पशुओं की सेवा कर आने वाले समय में उनको विलुप्त होने से बचा सके क्येांकि जब तक हमें इस सेवा का ज्ञान नहीं था तो हम देख चुके हैं कि गिद्ध, चील, कबुतर, बाघ, जैसे पशु लगभग से विलुप्त हो चुके हैं। ये हमारी धरोहर है हमें संरक्षित कर इस प्रकृति का बचाना होगा।

करूणा क्लब के मीडिया प्रभारी आशीष रंगा ने बताया कि आज उद्घाटन सत्र में बच्चों ने नृसिंग अधिकारी साहब से पशु-पक्षियों के स्वास्थ्य लाभ के लिए अनेकों प्रश्न पूछकर उनके कल्याण व संरक्षण की प्रतिज्ञा के साथ-साथ अगले दिवस की रूप रेखा में सर्दियों में गायों के लिए गरम कपडे़ व भोजन की व्यवस्था का संकल्प लिया और इसी के तहत छात्र/छात्राओं ने शाला की करूणा क्लब की ईकाई के साथ मिलकर अपने जेब खर्च से सर्दी से गायों को बचाने के लिए गर्म तपडी (बोरियां) लाकर गायों को ओढाई और उसके पश्चात् छात्र/छात्राओं ने मिलकर कच्ची जगह चुल्हा बनाकर गायों के लिए गुड़ की लापसी तैयार कर गायों को खिलाकर उन्हें ठंड से निजात दिलाने का प्रयास किया।

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