Thursday, November 14, 2024
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आओ स्कूल चलें, पढ़ाई करें, शतरंज खेलें, अभियान की शुरूआत बीकानेर से

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बीकानेर Abhayindia.com शिक्षा विभाग राजस्थान द्वारा एक अभिनव प्रयोग करते हुए शतरंज के खेल को स्कूली खेलों में शामिल करने का निर्णय लिया। बाल दिवस पर इस अभियान की समारोह पूर्वक शुरूआत की जायेगी। बच्चों में बढ़ते हुए मोबाईल एडीक्शन तथा मानसिक तनाव को दूर करने के लिए राज्य सरकार द्वारा एक अभिनव प्रयोग किया जा रहा हैं जिसकी शुरूआत बाल दिवस की पूर्व संन्ध्या पर बीकानेर से होगी।

इसी निर्णय को मूर्तरूप देने के लिए विभाग द्वारा खेल के नियम एवं प्रतियोगिता आयोजन की प्रक्रिया शुरू की गई। शतरंज के खेल को विभिन्न देशों में शैक्षणिक खेल के तौर पर देखा गया। यूनेस्को ने भी इसे विभिन्न विकल्पों में उपलब्ध श्रेष्ठ चाल को चलना तार्किक निर्णय क्षमता को विकसित करने वाला माना है।

राजस्थान शिक्षा विभाग ने अब यह निर्णय लिया है कि महीने के प्रत्येक तीसरे शनिवार को “नो बैग डे“ रखा जायेगा और इसी दिन राजस्थान की 60 हजार स्कूलों में शतरंज का खेल खेला जायेगा। इस निर्णय से राजस्थान देश का पहला राज्य होगा जहां स्कूली शिक्षा के साथसाथ शतरंज का अभ्यास भी निश्चित किया गया है।

शतरंज के खेल से बच्चों का मानसिक विकास होगा, अनुशासनबद्धता आयेगी, बच्चा धैर्यशील बनेगा तथा कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार होगा। यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि शिक्षा विभाग का यह कार्यक्रम अब मूर्त रूप ले चुका है और पूरे राज्य मंे जिला स्तर पर स्कूली शतरंज प्रतियोगिता 6, 7, 8 नवम्बर तक आयोजित करने जा रही है। इसमें से चयनित टीमें 14 नवम्बर से बीकानेर में होने वाली राज्य स्तरीय स्कूली शतरंज प्रतियोगिता में भाग लेगीं। विजेता टीमों को राष्ट्रीय स्तर पर भाग लेने का अवसर मिलेगा। 14 नवम्बर को होने वाली इस प्रतियोगिता को बाल दिवस को समर्पित किया गया है। बाल दिवस पर आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में शतरंज को राजस्थान में पूरा महत्व दिया गया है। राज्य सरकार ने बच्चों के मानसिक विकास के लिए एक नया उपहार इस इन्डोर गेम के माध्यम से दिया है। यह उल्लेखनीय है कि शतरंज का खेल आज के टैक्नोलॉजी के युग में कम्प्यूटर से जुड़ा हुआ है। कोरोना काल में सर्वाधिक 15 लाख से अधिक भारतीय घरों में बैठेबैठे इस खेल को खेलते थे।

शिक्षा विभाग निदेशक द्वारा शतरंज कार्यक्रम को लागू करने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण हेतु कार्यशाला आयोजित की गई है। शतरंज का साहित्य हिन्दी में उपलब्ध करने की व्यवस्था की जा रही है। स्थानीय एवं प्रदेश स्तर पर शतरंज के प्रशिक्षक एवं निर्णायक तैयार किये जा रहे हैं।

शतरंज का खेल मनोरंजन के साथसाथ अनुशासन एवं एकाग्रता का विकास करता है। इसका उदाहरण यहां जिला कलक्टर भगवती प्रसाद द्वारा जेल में शतरंज प्रारम्भ की जाकर किया गया। बाद में बंदियों से जो फीड बैक मिला वह महत्वपूर्ण था कि वे शतरंज खेल कर ना केवल अच्छा समय बिताते है बल्कि आपसी झगड़े कम हुए एवं रात्रि नींद की समस्या की कमी हुई। बंदियां में अनुशासित जीवन की शुरूआत होगी। आशा है शिक्षा विभाग के इस अभिनव प्रयोग से हमं एक अनुशासित एवं तर्कसंगत निर्णय लेकर पढ़ने वाले समाज का विकास कर पायेंगे।

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