



भारतीय समाज में पारिवारिक रिश्तों का एक विशेष महत्व है। इन रिश्तों में दामाद और ससुराल का संबंध अपनी एक अलग पहचान रखता है। दामाद को ससुराल में विशेष सम्मान और आदर दिया जाता है, जिसे भारतीय संस्कृति और परंपराओं का अभिन्न हिस्सा माना जाता है। यह संबंध न केवल पारिवारिक जुड़ाव को मजबूत करता है, बल्कि सामाजिक मूल्यों और आपसी सम्मान को भी दर्शाता है। भारतीय परंपरा में दामाद को “घर का राजा” या “घर का देवता” कहा जाता है। यह सम्मान केवल शब्दों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि ससुराल वाले दामाद की हर छोटी-बड़ी जरूरत का ख्याल रखते हैं।
ससुराल में दामाद के साथ अच्छा व्यवहार करना न केवल एक परंपरा है, बल्कि यह रिश्तों को मजबूत बनाने का एक तरीका भी है। जब ससुराल वाले दामाद को अपनापन और प्यार देते हैं, तो वह भी परिवार के साथ गहरा जुड़ाव महसूस करता है। इसके अलावा, दामाद और ससुराल के रिश्ते में विनम्रता और आपसी समझ का होना आवश्यक है, जिससे दोनों पक्षों के बीच सम्मान और प्रेम बना रहे।
दामाद के ससुराल से तकरार के कारणों का वर्णन ग्रन्थों में नहीं मिलता लेकिन कुछ समय पहले से लोगों के घरों का वास्तु करते समय इस विषय पर मेरा ध्यान गया। इस आधार पर निष्कर्ष निकाला कि जवाई पक्ष का अपने ससुराल पक्ष से अलगाव के ये कारण भी हो सकते है। जिन घरों का मैंने वास्तु देखा उनके नाम गोपनीय रखते हुए मेरा अध्ययन केस स्टडी के रूप में आपके सामने है।
केस स्टडी-1
मैंने हरीश (परिवर्तित नाम) के घर का अवलोकन किया। उनके एक ही बहन थी और अत्यंत दुख की बात कि उनके बहनोई जी उनको बहुत परेशान करते थे। हरीश का घर दक्षिण मुखी था तथा आग्नेय कोण में टॉयलेट होने के साथ ही रसोई घर भी अनुचित स्थान पर था। हरीश ने अपने घर के वास्तु दोषों को काफ़ी हद तक दूर किया जिससे कि अब उनके और बहनोई जी के बीच संबंध पहले से बेहतर हुए है।
केस स्टडी-2
एक परिवार ने बहुत ही धूम धाम से बेटी की शादी की परंतु दामाद की तरफ़ से हमेशा किसी न किसी बात पर विवाद होता रहता था। ऐसे में मैंने दामाद के घर का वास्तु देखा जिसमे उनके घर के नैऋत्य कोण में अंडर ग्राउंड था तथा घर में सीढ़ियाँ भी उचित ढंग से नहीं बनी हुई थी। उनके घर की रसोई तो उचित स्थान पर नहीं थी साथ ही सबसे बड़ी बात कि दामाद का कमरा भी वास्तु अनुकूल नहीं था। अब मैंने दामाद के ससुराल पक्ष का भी वास्तु अवलोकन किया। उनके नैऋत्य कोण में रसोई थी तथा जलकुंड बिल्कुल भी वास्तु अनुकूल नहीं था। ईश्वर की कृपा से दोनों ने ही वास्तु दोषों का यथासंभव निवारण किया और आज उनके सम्बंध अपेक्षाकृत अच्छे हैं।
केस स्टडी-3
एक बार मुझे ऐसे घर के वास्तु का अवलोकन करने का अवसर मिला जिससे कि मेरी रूह काँप गई। यहाँ तो बेटी-दामाद दोनों ही ससुराल पक्ष के दुश्मन ही थे। उनका स्तर इतना गिरा हुआ था कि उन्होंने अपने ससुराल के साथ-साथ अन्य समधियों से भी मारपीट की। मैंने वास्तु अवलोकन में पाया की मालिक के शयन का स्थान बिल्कुल भी वास्तु सम्मत नहीं था। उस घर का आकार भी वास्तु सम्मत नहीं था। पूजा का स्थान उचित नहीं था जिससे कि उन्हें गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा और उन्होंने वास्तु दोषों को दूर नहीं किया। जिससे कि अंतिम समय तक दोनों पक्षों में विवाद खड़ा ही रहा।
केस स्टडी-4
मैंने एक बहुत ही प्रतिष्ठित परिवार (परिवर्तित नाम- अजय) के घर का वास्तु देखा। भगवान ने उनको सभी सुख दिए परंतु सोने की थाली में एक कील थी कि वे अपने बहनोई से बहुत ही प्रताड़ित थे। उनके घर के आगे एक पेड़ था तथा घर का ईशान कोण ऊँचा था। उनके घर में ग्वारपाठा भी लगाया हुआ था तथा एक जलकुंड था जो कि अनुचित स्थान पर बनाया गया था। उन्होंने इन सभी वास्तु दोषों को दूर किया जिसका परिणाम यह हुआ कि आज उनके संबंध बेहतर हैं। बेटी-दामाद के खुशहाल जीवन के लिए किसी योग्य वास्तुविद से सलाह मशवरा कर उचित नाप जोख से वास्तु सुधारे तो दामाद के अपने ससुराल से सम्बन्ध सामान्य हो सकते हैं। -सुमित व्यास, एम.ए (हिंदू स्टडीज़), काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, मोबाइल – 6376188431





