Monday, November 4, 2024
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रातों में नींद नहीं, सुकून भी गायब, तो करें वास्‍तु के ये उपाय…

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जिंदगी को बेहतर करने की जद्दोजहद में हर तीसरा आदमी रात में सही से नींद नहीं आने की शिकायत करता है। इसकी मुख्य वजह है-तनाव, जो किसी भी जाने-अनजाने कारण से हो सकता है। इधर, हमारे शास्त्र कहते हैं- निद्रायां यः परित्यजति हिनस्त्यात्मानमेव सः। निद्रायां हीनचित्तस्य बुद्धिः प्रतिहता स्मृता॥” इसका आशय है जो व्यक्ति नींद का त्याग कर देता है, वह स्वयं अपने शरीर और मन का हनन करता है। नींद से वंचित व्यक्ति की बुद्धि मंद पड़ जाती है और उसकी स्मरणशक्ति कमजोर हो जाती है।

नींद लेना व्यक्ति के लिए वह आवश्यक कार्य है जिससे उसका पूरा दिन खुशनुमा रहता है। पूरे दिन स्वयं को ख़ुश अनुभव करता है। व्यक्ति नींद लेने के बाद पूरे दिन कार्य कर सकता है। किसी समय में नींद लेना बहुत ही आसान कार्य समझा जाता था वहींं, आज इसके लिए डॉक्टर के पास जाना पड़ता है और दवाई लेनी पड़ती है।

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NMHS) 2015-16 के अनुसार, भारत में 10.6% वयस्क लोग मानसिक विकार यानी मेंटल डिसऑर्डर के शिकार हैं। जबकि मानसिक स्वास्थ्य विकार और अन्य विभिन्न विकारों के बीच उपचार में 70% तथा 92% का अंतराल है। दवाई तो अपनी जगह काम करेगी ही लेकिन हमारे पास ऋषि-मुनियों का इतना संवर्धित ज्ञान है जिससे हम इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। प्राचीन काल से ही इस समस्या को गंभीरता से लिया गया इसी कारण हमारे ग्रन्थ लिखते है- निद्रायत्तं सुखं दुःखं पुष्टिः कार्श्यं बलाबलम्। वृषता क्लैब्यमाल्पत्वं स्थौल्यं च निद्रया॥” इसका आशय है- नींद पर सुख-दुख, शरीर की पुष्टि (मजबूती) और कमजोरी, शक्ति और दुर्बलता, प्रजनन क्षमता और नपुंसकता, दुबलापन और मोटापा निर्भर करते हैं।

यह श्लोक बताता है कि नींद हमारे शरीर की संपूर्ण स्थिति को प्रभावित करती है। यह स्पष्ट करता है कि नींद का हमारे स्वास्थ्य और जीवनशैली पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह न केवल शारीरिक ऊर्जा को बनाए रखती है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन के लिए भी आवश्यक है। वास्तु शास्त्र सिर्फ समस्या बता नहीं रहा वरन उसका समाधान भी बताता है। वास्तु के अनुसार, कुछ परिवर्तन करके हमारा जीवन खुशहाल हो सकता है।

यदि बेडरूम में आइना है तो रात को सोते समय उसे किसी कपड़े से ढंक दें।  इसके अलावा बेडरूम में कभी भी झाड़ू नहीं रखनी चाहिए। अपने कमरे में बेड का ध्यान रखें।

वास्तुशास्त्र के अनुसार, बेडरूम में कभी भी बिस्तर उत्तर-पूर्व दिशा में नहीं होना चाहिए। ऐसा होने से नींद में बाधा आ सकती है और आप ठीक से सो नहीं पाते हैं। यदि रात में नींद नहीं आती, बुरे सपने आते हैं या अज्ञात भय के कारण सोने में परेशानी होती है तो, सोने से पहले गीता या सुंदरकांड का पाठ करें और इसे अपने तकिए के नीचे रख कर सोएं। इससे नींद न आने की समस्या दूर होगी और आपको बेहतर नींद आएगी। इसके अलावा पूर्व तथा उत्तर दिशा का हल्का और नीचा होना तथा दक्षिण व पश्चिम दिशा का भारी व ऊंचा होना अच्छा माना गया है। यदि पूर्व दिशा में भारी निर्माण हो और पश्चिम दिशा एकदम खाली व निर्माण रहित हो तो अनिद्रा का शिकार होना पड़ सकता है।

उत्तर दिशा में भारी निर्माण हो लेकिन दक्षिण और पश्चिम दिशा निर्माण रहित हो तो भी ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है। अनिद्रा से आपको कई तरह की बीमारियां घेर सकती हैं तो इस वास्तु का ध्यान रखकर आप स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।

अच्‍छी नींद के लिए यह बहुत जरूरी है कि आपके बेडरूम में हर चीज एकदम व्‍यवस्थित होनी चाहिए। चीजों के इधर-उधर बिखरे रहने से नींद में खलल पड़ती है। बेडरूम में साफ-सफाई का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए। सोते समय एक बात का ध्‍यान रखें कि कभी अपने सिर के पीछे की खिड़की खोलकर न सोएं। ऐसा करने से आपकी नींद में भी व्‍यवधान पड़ता है और रात को डरावने सपने भी आते हैं।

पूर्व दिशा में भारी निर्माण हो तथा पश्चिम दिशा एकदम खाली व निर्माण रहित हो तो भी अनिद्रा का शिकार होना पड़ सकता है। उत्तर दिशा में भारी निर्माण हो परन्तु दक्षिण और पश्चिम दिशा निर्माण रहित हों तो तब भी ऐसा ही हो जाता है।

अनिद्रा को दूर करने में रंगों का भी बहुत महत्व है। हल्के नीले, लैवेंडर या पेस्टल शेड जैसे नरम, शांत रंग आपके बेडरूम की दीवारों के लिए एकदम सही हैं। वे एक शांत वातावरण बनाने में मदद करते हैं जो आपको एक शांतिपूर्ण नींद में सुला देता है। सार यह कि अनिद्रा के कई कारण हो सकते है अनियमित दिनचर्या, देर रात तक जागना, टीवी या मोबाइल का अत्यधिक उपयोग, कैफीन और अल्कोहल का सेवन व शारीरिक गतिविधि की कमी के अलावा ईशान कोण में दोष, दक्षिण दिशा में खुला स्थान, पूर्व दिशा में शौचालय, उत्तर दिशा में भारी वस्तुएं व बेडरूम में टीवी या कंप्यूटर जैसी वस्तुएं अनिद्रा का कारण बन सकती है। अपने से सम्बंधित कारणों को समझकर और उन्हें दूर करके अनिद्रा की समस्या को कम किया जा सकता है। -सुमित व्यास, एम.ए (हिंदू स्टडीज़), काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी

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