Sunday, May 18, 2025
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वास्तु सम्मत है ऑफिस में सिटिंग तो सफलता निश्चित, जानें- किन बातों का रखें ध्‍यान…

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ऑफिस का वास्तु एक महत्वपूर्ण विषय है जो ऑफिस के वातावरण और कर्मचारियों की उत्पादकता पर प्रभाव डाल सकता है। यह एक ऐसा स्थान है जहाँ किसी संस्था, कंपनी के कार्यों का नियोजन, क्रियान्वयन और नियंत्रण किया जाता है। यह कार्यक्षमता, उत्तरदायित्व और विकास का केंद्र होता है।

ऑफ़िस केवल एक भौतिक स्थान नहीं है, बल्कि यह एक विचार है जहाँ अनेक लोग मिलकर किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए कार्य करते हैं। सरकारी, निजी, अर्ध-सरकारी, शैक्षणिक, औद्योगिक इत्यादि क्षेत्रों में कार्यालयों की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है। किसी भी संस्था के सुचारु संचालन के लिए कार्यालय एक रीढ़ की हड्डी के समान होता है और यदि यह ऑफिस वास्तु सम्मत नहीं हो तो इसकी रीढ़ की हड्डी टूट भी सकती है। वास्तु के अनुसार, आपके ऑफिस का माहौल और वहां की ऊर्जा वहां काम करने वाले लोगों के जीवन पर गहरा असर डालती है। यदि ऑफिस में कोई वास्तु दोष होता है, तो उसका प्रभाव वहां काम कर रहे सभी लोगों पर पड़ता है। नतीजन वहां काम करने वाले लोगों की आपस में नहीं बनती या बहुत प्रयास करने के बाद उतना लाभ नहीं होता और यहां तक की वहां काम करने में मन नहीं लगता, जिससे कारोबार भी प्रभावित होता है और यहाँ तक कि कई बार तो ऐसे रुपये फँस जाते हैं जिनकी हमें उम्मीद भी नहीं होती है।किसी भी कार्यालय के वास्तु में सर्वप्रथम आकारगत स्थिति देखी जाती है अर्थात् कार्यालय किस आकार में निर्मित है। वर्गाकार और आयताकार कार्यालय श्रेष्ठ माने जाते हैं, जबकि वृत्ताकार, किसी निश्चित दिशा में बढ़े और घटे हुए, शकटाकार, अण्डाकार इत्यादि आकृति वाले कार्यालय के निर्माण से वास्तुदोष उत्पन्न होता है। ऐसे कार्यालय में कार्य करने वाले व्यक्ति किसी न किसी रूप से परेशानी में रहते हैं।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, ऑफिस का गेट उत्तर, उत्तर-पूर्व और उत्तर पश्चिम दिशा में ही होना चाहिए, इससे ऑफिस में सकारात्मकता आती है। मैंने अनुभव में पाया है कि जहाँ प्रवेश द्वार वास्तुसम्मत नहीं होता है वहाँ मालिक के द्वारा सभी तरह से अनुकूल व्यवस्था प्रदान करने पर भी कर्मचारी न टिकने की शिकायत बनी रहती है। अगर ऑफिस या टेबल पर सामान हमेशा बिखरा पड़ा रहता है तो यह ठीक नहीं है, ऐसे ऑफिस में बैठकर काम करने में मन नहीं लगता। हमेशा उलझन बनी रहती है और वास्तु दोष भी उत्पन्न होता है।

वास्तुशास्त्र के अनुरूप, मेज पर फाइल या कागजों का ढेर लगा रहना कार्य की गुणवत्ता को तो प्रभावित करता ही है, नकारात्मक ऊर्जा में भी वृद्धि होती है। कार्यालय में पूजनस्थल का निर्माण ईशान कोण की ओर करना चाहिये। ईशान कोण के अतिरिक्त उत्तर अथवा पूर्व की ओर भी पूजनस्थल का निर्माण करवाया जा सकता है। पूजनस्थल इस प्रकार बनवायें कि बाहर से आने वाले व्यक्तियों की सीधी नज़र वहाँ नहीं पड़ती हो। यदि ऐसी स्थिति में रखना आवश्यक हो, तो उसे परदे से ढंक कर रखें परंतु नित्य पूजा करना अत्यावश्यक है।

कई लोग अपने ऑफिस डेस्क के नीचे कूड़ेदान रखते हैं और कुछ लोग उसमें पीक भी थूकते हैं लेकिन वास्तु की दृष्टि से इसे बिल्कुल भी ठीक नहीं माना गया है। इससे नकारात्मकता बढ़ने लगती है। ऐसे में यदि पहले से ही आपके ऑफिस डेस्क के नीचे कूड़ेदान रखा है, तो उसे तुरंत हटा दें। इसके साथ ही अपने ऑफिस डेस्क को हमेशा ऐसे में हमेशा साफ-सुथरा रखें। उस पर सामान फैला हुआ नहीं होना चाहिए। अपनी मेज को व्यवस्थित ढंग से रखें। वास्तु शास्त्र में दिशाओं का बहुत महत्व है। उत्तर दिशा धन और समृद्धि के लिए उपयुक्त है। इस दिशा में कैशियर या अकाउंट्स विभाग का कार्यालय बनाना अच्छा हो सकता है। पूर्व दिशा ज्ञान और प्रगति के लिए उपयुक्त है। इस दिशा में मीटिंग रूम या प्रशिक्षण कक्ष बनाना अच्छा हो सकता है। दक्षिण दिशा प्रसिद्धि और प्रतिष्ठा के लिए उपयुक्त है। इस दिशा में सीईओ या एमडी का कार्यालय बनाना अच्छा हो सकता है। यह वह स्थान है जहां बैठकर हम काम करते हैं,वह स्थान पवित्र होता है क्यों कि यह आजीविका कमाने का स्थान होता है इसलिए ऑफिस मेज पर कभी भी खाना-पीना नहीं चाहिए। यहां बैठकर चाय या कॉफी पीना, भोजन करना, मांस-मदिरा का सेवन करना हमारी तरक्की में बाधा बनता है। यह कार्यस्थल पर क्लेश, मानसिक विकार, कॅरियर में रुकावट का कारण भी बनता है।

अपने ऑफिस डेस्क पर हरे-भरे पौधे जैसे मनी प्लांट या बांस आदि का पौधा रखना चाहिए। इससे सकारात्मक माहौल पैदा होता है, जो काम करने की परिस्थितियों को और भी बेहतर बनाता है। ध्यान रखे कि ऑफिस डेस्क पर रखा पौधा सूखना नहीं चाहिए। किसी भी कार्यालय में रिसेप्शन अर्थात् स्वागतकक्ष का अत्यधिक महत्त्व होता है। स्वागतकक्ष सदैव कार्यालय के मुख्यद्वार के समीप बनवाया जाता है। इसका उत्तर, पूर्व और ईशान की ओर होना श्रेष्ठ माना जाता है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि कार्यालय का प्रवेशद्वार भी पूर्व अथवा उत्तर की ओर से ही होना चाहिये। यदि कार्यालय का प्रवेशद्वार दक्षिण दिशा में हो और वास्तु सम्मत नहीं हो तो उस कार्यालय में विभिन्न प्रकार की समस्यायें उत्पन्न हो सकती हैं वहाँ पर नकारात्मक ऊर्जा रहने से कार्य करने वाले व्यक्ति प्रभावित रहते हैं।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, भूलकर भी ऑफिस डेस्क पर कैक्टस का पौधा नहीं रखना चाहिए। माना जाता है कि कांटेदार पौधे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं और आपके सहकर्मियों के साथ संबंधों में तनाव ला सकते हैं। ऐसे पौधे ऑफिस डेस्क पर रखने से कार्यस्थल पर मानसिक तनाव और रुकावटों का कारण बन सकते हैं। कार्यालय में दीवारों पर हल्के रंगों का प्रयोग करना चाहिये। गहरे रंगों के प्रयोग से प्रतिकूलता होती है। यदि लकड़ी के फर्नीचर का प्रयोग दीवारों और फर्श की टाइल्स के रूप में किया जा रहा है, तो उसका रंग भी हल्का होना चाहिये। गहरे रंगों के प्रयोग से प्रतिकूलता रहती है। सुमित व्यास, एम.ए (हिंदू स्टडीज़), काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, मोबाइल – 6376188431

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