Tuesday, November 12, 2024
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कपल्स सुनना चाहते हैं बच्चों की किलकारी, तो करें वास्तु के ये उपाय…

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भाग-दौड़ की जिंदगी में अनेक दंपतियों को संतान प्राप्ति में बहुत समस्याएं आती है। आवश्यक जरूरतों को पूरा करने के लिए पति-पत्नी दोनों को कमाई की ओर दौड़ना उनकी मजबूरी है। ऐसी व्यस्ततम और भागदौड़ भरी जिंदगी के साथ ही महत्वाकांक्षा और आगे निकलने की दौड़ में कई बार संतान सुख से वंचित रह जाते हैं। हमारे शास्त्रों में मान्य सोलह संस्कारों में गर्भाधान संस्कार पहला है। गृहस्थ जीवन में प्रवेश के उपरान्त प्रथम क‌र्त्तव्य के रूप में इस संस्कार को मान्यता दी गई है। गृहस्थ जीवन का प्रमुख उद्देश्य श्रेष्ठ सन्तानोत्पत्ति है।

पुत्रात् जायते वंशः पुत्राद धर्मः प्रजायते।पुत्रेण कृतं पुण्यं संतानो धर्म एव च।।” इसका आशय है पुत्र से वंश की वृद्धि होती है, पुत्र से धर्म की प्राप्ति होती है। पुत्र द्वारा किए गए पुण्य और धर्म से संतान का कल्याण होता है। कन्या हि धर्मः कन्या हि यज्ञः। कन्या हि परमं तेजः कन्या हि परमं तपः।।” इसका आशय है कन्या ही धर्म है, कन्या ही यज्ञ है। कन्या ही परम तेज है और कन्या ही परम तपस्या है।

आज के समय में ऐसा देखा जाता है कि स्त्री व पुरुष इस संस्कार से वंचित रह रहे हैं और इसके लिए उन्हें अस्पताल के ख़ूब चक्कर लगाने पड़ते हैं जिसमें उनका धन व समय बर्बाद हो जाता है। इसमें कई शारीरिक कारण भी होते हैं लेकिन कई बार शारीरिक कारण नहीं होते हुए भी वह संतानोत्पत्ति नहीं कर पाते हैं। जिसमें वास्तुदोष एक गंभीर कारण हो सकता है यदि हम वास्तुदोष का परिहार करें तो हो सकता है कि इस समस्या से छुटकारा पाया जा सके।

हमें ध्यान रखना होगा कि घर की पश्चिमी दिशा हमारे जीवन में संतान सुख की कारक होती है। इस दिशा को प्रभावशाली बनाने से घर में ज्यादा सकारात्मकता का संचार होता है। इस दिशा को प्रभावशाली बनाने के लिए धातु से बना कोई भी सजावट का सामान रखकर इस दिशा को प्रभावशाली बना सकते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, यदि आपके घर की पश्चिमी दिशा में दरवाजे और खिड़की है तो यहां मैटेलिक कलर्स के पर्दे या फर्नीचर का इस्तेमाल करें।

जिस घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा निर्माण कार्य न होने के कारण खुली हुई हो, ईशान कोण में निर्माण होने के कारण (ईशान कोण वाले भाग में) खुली जगह न हो और उसकी उत्तर और पूर्व दिशा में पड़ोसियों के घर के कारण दरवाजा या खिड़की भी न हो, ऐसे कोने वाले कमरे में जिन दम्पति का बेडरूम होता है उन्हें संतान प्राप्ति में बाधा पैदा होती है। ईशान कोण में पानी की टंकी, भूतल के नीचे स्थित पानी की टंकी, भगवान का स्थान तुलसी और मंदिर आदि रखने की परंपरा है।

भगवान के बाल स्वरूप के फोटो लगाए ऐसे स्थान पर भगवान को स्थापित कर संतान की कामना की जा सकती है। लड्डू गोपाल, बाल गोपाल अथवा कृष्ण जी के बाल स्वरूप की विधिवत विधानपूर्वक पूजा अर्चना, आराधना और आह्वान कर लड्डू गोपाल जी की स्थापना की जानी चाहिए। यह पूजन शुभ मुहूर्त सुबह बेला में किया जाना चाहिए। जिस घर का आग्नेय तथा नैऋत्य कोण दोनों ही नीचे हो और नैऋत्य कोण में यदि शौचालय बना हुआ हो तो ऐसे घरों में देखा जाता है कि प्रेगनेंसी में बहुत समस्या आती हैं तथा कई बार मिसकैरेज भी हो जाता है। अनुभव में आया है कि कई बार नवदंपति वायव्य कोण के कमरे में शयन करते हैं जिससे कि उन्हें प्रेगनेंसी के दौरान समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

जिस घर में बाथरूम और जलकुंड की दीवार सटी हुई हो तथा रसोई भी उचित स्थान पर नहीं हो तो ऐसे में संतानोत्पत्ति की समस्या होती हैं। कपल्स को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि पत्नी को हमेशा पति के बाएं तरफ सोना चाहिए। साथ ही इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पति-पत्नी का बिस्तर छत की बीम के नीचे नहीं होना चाहिए। यदि आपके घर में युद्ध करती तस्वीरें हो या फिर अकेला बैठे व्यक्ति की तस्वीर हो तो उसे तुरंत हटा दें। ऐसी तस्वीरें प्रेम भाव को खत्म करती हैं। इसके अलावा अपने कमरे में अनार और जौ को रखें इन्हें फर्टिलिटी का कारक माना जाता है।

संतान प्राप्ति की चाहत रखने वालों को अपने बेडरूम में सबसे जरूरी बात ये है कि प्रेग्नेंट महिला के कमरे में मन विचलित करने वाली फोटो गलती से भी नहीं लगानी चाहिए। नेगेटिव फोटो जैसे डूबती नाव, खतरनाक जानवरों की फोटो, उदास फोटो लगाने से बचना चाहिए।

भगवान श्री कृष्ण की तस्वीर या मूर्ति रखनी चाहिए। बचपन में भगवान श्री कृष्ण बेहद ही नटखट थे। हर मां उनके जैसे ही संतान की कामना करती है। ऐसे में नटखट कान्हा की तस्वीर घर में लगाना शुभ रहता है। इसके अलावा बैडरूम की दीवारों को हल्के पीले रंग से रंगना चाहिए। सारे घर को लाइट कलर से पुताई की जानी चाहिए। ऐसे वास्तु में गहरे रंग का उपयोग कभी नहीं करना चाहिए। सनातन संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया हुआ है। ऐसे दंपत्ति गौ माता की भरपूर सेवा करें, जिससे उन्हें संतान की कामना जल्द पूर्ण हो सके। -सुमित व्यास, एम.ए (हिंदू स्टडीज़), काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, मोबाइल – 6376188431

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