





जयपुर abhayindia.com निकाय चुनाव प्रमुखों को लेकर प्रदेश में एक बार फिर कांग्रेस में खींचतान का दौर तेज हो रहा है। खासतौर से इस मसले पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट गुट आमने-सामने हो रहे हैं। उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट खुद एवं उनके समर्थक दो मंत्रियों ने मंत्रिमंडल के निर्णय पर ही यह कहते हुए सवालिया निशान लगा दिए कि कैबिनेट की बैठक में हम भी थे, लेकिन उस बैठक में स्थानीय निकाय के महापौर एवं सभापति का चुनाव प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष कराने को लेकर बस चर्चा हुई थी, कोई फैसला नहीं हुआ था।
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सूत्रों के अनुसार, पायलट समर्थकों ने इस मामले को लेकर आलाकमान तक अपनी बात पहुंचा दी है। पायलट समर्थक मंत्रियों और विधायकों का कहना है कि सरकार के इस निर्णय से कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। इन मंत्रियों और विधायकों ने प्रदेश प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे एवं सचिव विवेक बंसल से बात की है। अब खुद पायलट इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकते है। इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री भरत सिंह ने भी शुक्रवार को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर महापौर एवं सभापति का चुनाव नये पैटर्न से कराने पर नाराजगी जताई है।
इधर, मुख्यमंत्री के भरोसेमंद स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल का कहना है कि सभी से चर्चा करके यह निर्णय लिया गया है। धारीवाल ने कहा कि नौ माह पहले ही इसकी जानकारी सार्वजनिक कर दी गई थी, लेकिन लोगों ने नियम नहीं पढ़े, इस कारण अब चर्चा कर रहे है।
आपको बता दें कि गहलोत सरकार ने दो दिन पहले ही तय किया था कि नगर निगम एवं नगर पालिकाओं में महापौर और सभापति का चुनाव प्रत्यक्ष ना होकर अप्रत्यक्ष होगा यानी पार्षद ही चुनेंगे। इसके साथ ही देश में पहली बार राजस्थान सरकार ने हाईब्रिड मॉडल लागू करते हुए यह भी तय किया था कि महापौर और सभापति बनने के लिए पार्षद का चुनाव लड़ना आवश्यक नहीं होगा।
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