









बीकानेर Abhayindia.com पूर्व सिंचाई मंत्री देवी सिंह भाटी ने राजस्थान में संचालित गौशालाओं को दिए जा रहे अनुदान को लेकर कई सवाल उठाए है। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, पशुपालन मंत्री, सचिव पशुपालन विभाग, निदेशक पशुपालन विभाग, संभागीय आयुक्त, जिला कलक्टर, अतिरिक्त निदेशक क्षेत्र पशुपालन विभाग, संयुक्त निदेशक को पत्र लिखकर अगवत कराया है कि जिला बीकानेर में पशुपालन विभाग द्वारा विभिन्न गौ-शालाओं में करोड़ों का अनुदान दिया जा रहा है। इसमें सबसे अधिक अनुदान प्राप्त करने वाली पिंजरा परोल गंगा जुबली गौशाला, शरह बोरला, जयमलसर में प्रत्येक दिन के तीन हजार गौ-वंश का अनुदान उठाया जा रहा है लेकिन गौशाला के अन्दर 40-50 से अधिक गौवंश कभी भी नहीं रहता है। क्योंकि पशुपालन विभाग की मिलीभगत के कारण कभी भी औचक जांच कर कार्यवाही नहीं की जाती है तथा भुगतान के समय विभाग कमीशन राशि लेकर पूरी स्वीकृत गौवंश का भुगतान कर देता है।
पूर्व मंत्री ने कहा कि उक्त गौ शाला के गौवंश के कानों में टेग लगे है और बाहर किसानों के खेतों में भारी नुकसान पहुंचा रहे है। विडम्बना यह है कि शिकायत होने पर विभाग द्वारा गौशाला वालों को पूर्व में सूचना दे देते हैंं। भाटी ने कहा कि यह स्थिति बीकानेर जिले में ही नहीं, करीब-करीब प्रदेश के प्रत्येक जिले में कुछ एक गौशाला को छोड़कर, खुले आम गाय के नाम राजकीय कोष की लूट हो रही है। काफी गौशालाओं को दानदाता चारा, चाटा व आर्थिक सहयोग भी करते है फिर भी कई गौशाला दूध, गोबर आदि भी बेचकर अलग से आय कर रहे है। कोई गौशाला नस्ल सुधार का कार्य भी नहीं करती है।
भाटी ने बताया कि हाल ही में जिला बीकानेर में बज्जू उपखण्ड क्षेत्र में ग्राम पंचायत गोगडियावाला के पाबूसर गांव की रोही में पशुपालन विभाग द्वारा सच्चियाय गौ-सेवा समिति मण्डल गोगड़ियावाला को 120 एक सौ बीस नन्दी सांड़ों की स्वीकृति जारी की हुई है। मौके पर गौ-धन पूरी संख्या में नहीं रखने एवं गलत तरीके से अनुदान राशि की हेराफेरी करने की ग्रामीणों द्वारा उपखण्ड अधिकारी बज्जू को शिकायत की गई। उपखण्ड अधिकारी द्वारा एक कमेटी गठित की गई, जिसमें स्वयं उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार बज्जू, पशुपालन अधिकारी, बज्जू शामिल थे। कमेटी ने औचक जांच के लिए 15 अप्रेल 2025 को मौके पर पहुंच कर जांच की गई तो 120 सांडों की जगह दस छोटे-मोटे गौधन मिले, जिसमें दो गौधन के ही कानों में टेग लगे हुए थे। चारा खुले में तारबन्दी में पड़ा था, वो भी पर्याप्त नहीं था, पानी, छाया की भी सही व्यवस्था नहीं थी। इस जांच की सूचना जिला कलक्टर बीकानेर, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, बीकानेर को अग्रिम कार्यवाही के लिए प्रेषित कर दी थी, जिसपर आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं कि बल्कि जिला कलक्टर ने दबाव में आकर पुनः जांच के आदेश कर दिये। अब जब पुनः जांच होगी तो गौशाला वाला मौके पर कमीपूर्ति कर लेगा और कोई कार्यवाही नहीं होगी। उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार, पशुपालन अधिकारी की संयुक्त कमेटी पर ही जिला कलक्टर को विश्वास नहीं है तो सभी जांचें व्यर्थ है।
भाटी ने इस संबंध में जिला कलक्टर, बीकानेर से मौखिक बात कर 30 मई 2025 को पत्र लिखा, जिसपर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। पशुपालन विभाग की मिलीभगत रहती है, इसलिए जिला प्रशासन से समय-समय पर ड्रोन से बिना पूर्व सूचना के जांच होनी चाहिए। भाटी ने कहा कि विषय बहुत गम्भीर है, इस पर उच्च स्तरीय विचार विमर्श कर, भ्रष्टाचार को रोकने के प्रयास होने चाहिए।





