बीकानेर Abhayindia.com पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी ने एक बार फिर अपनी बांहें चढ़ा ली है। इस बार भाटी ने ओरण, गोचर, चारागह भूमि पर हुए पुराने अतिक्रमण के मामलो में पट्टे जारी करने का विरोध किया है। इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेजा है। इसमें बताया गया है कि 15 दिसंबर 2021 को हुई राजस्थान सरकार मंत्रीमंडल की बैठक में ओरण, गोचर, चारागाह भूमि पर जो पुराने अतिक्रमण किए हुए हैं उन्हें पट्टे जारी करने का निर्णय किया है। इस निर्णय को वापस लिया जाना चाहिए। पूर्व मंत्री भाटी ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि राज्य सरकार ने यह निर्णय वापस नहीं लिया तो मजबूरन पूरे राज्य में जिलेवार साधू संत, गो प्रेमी, पशुपालक अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे।
पूर्व मंत्री भाटी प्रवक्ता सुनील बांठिया के अनुसार, पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी ने कहा है कि गोचर भूमि पर अतिक्रमणकारियों को पट्टे जारी करने का जो निर्णय लिया है वह सरासर अनुचित है। इससे अतिक्रमियों को और प्रोत्साहन मिलेगा। भाटी ने कहा कि इसी सरकार द्वारा सन् 2011 में चरागाह भूमि विकास के लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग द्वारा महा नरेगा के तहत गोचर ओरण चारागाह भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए बड़ा निर्णय लिया गया था तथा इसी भूमि को विकसित करने के लिए महानरेगा के तहत घास स्थानीय प्रजाति के पेड़ पौधे लगाए जाएंगे जिससे गोवंश पशुधन चराई कर सके साथ ही ऐसे स्थानों पर जो अतिक्रमण होंगे। उन्हें भी ग्राम पंचायत तहसीलदार जिला कलेक्टर के माध्यम से मुक्त करवाए जाने के निर्देश जारी किए गए थे। यह उस समय सरकार का उत्तम भारतीय संस्कृति व शून्य आधारित अर्थव्यवस्था पर अच्छा विचार था, लेकिन अपने ही निर्णय के विपरीत जाकर 15 दिसंबर 2021 को गहलोत सरकार ने अतिक्रमणकारियो को पट्टे जारी करने का निर्णय लेकर राज्य के सभी गो प्रेमियों व पशु प्रेमियों को आहत किया है।
पूर्व मंत्री भाटी ने कहा कि पूर्व में हमारे ही पूर्वजों द्वारा गोवंश व पशुओं को पालन के लिए जो भूमि छोड़ी थी उसका भी सरकार द्वारा नाजायज हक जताया जा रहा है। राज्य सरकार को चाहिए था कि ऐसी भूमि पर कब्जे की नीयत से जाए तुरंत उन्हें बेदखल करने की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की हो। अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों पर कानूनी कार्यवाही करने का प्रावधान रखा जाए जिससे अतिक्रमणकारियों का दुस्साहस ना बढ़े। वह समय–समय पर उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने भी परंपरागत नदी, नाले, तालाब, गोचर, ओरण पायदान, चरागाह भूमि पर किसी प्रकार का निर्माण अतिक्रमण नहीं हो, इसके लिए विभिन्न प्रदेशों की सरकारों को पाबंद कर निर्देशित किया गया है।
भाटी ने कहा कि राज्य सरकार का निर्णय घोर अनैतिक ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विरुद्ध देसी गाय की नस्ल को समाप्त करने का निर्णय है। बांठिया के अनुसार, पूर्व मंत्री भाटी ने राज्य सरकार को आगाह किया है की 15 दिसंबर 2021 को लिए गए इस निर्णय को वापस लें अन्यथा मजबूरन पूरे राज्य में जिलेवार पूर्व मंत्री भाटी सहित क्षेत्र के साधु–संत, गो प्रेमी ,पशु प्रेमी 13 जनवरी 2022 को सरह नथानिया गोचर भूमि पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने को मजबूर होंगे। बांठिया ने कहा कि सरकार द्वारा अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया गया तो देवी सिंह भाटी अपने अनिश्चितकालीन धरने को भूख हड़ताल में बदल देंगे।