बीकानेर abhayindia.com भाजपा नेता रवि शेखर मेघवाल ने आज छतरगढ प्रवास के दौरान कहा कि कांग्रेस राज में पंचायती राज चुनाव का कैेसे मजाक उडाया जा रहा है। बीकानेर पंचायत समिति, कोलायत, लूनकरनसर, खाजूवाला पंचायत समितियों में 7 फरवरी के बाद संवैधानिक संकट खडा हो जायेगा। जब से पंचायती राज एक्ट लागू हुआ है उसमें स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि पांच साल के भीतर चुनाव करवाने अनिवार्य है।
(संविधान के अनुच्छेद 243 ई में लिखा है कि पंचायती राज संस्थान को पांच साल में हर हाल में चुनाव करवाना अनिवार्य है) प्रशासक लगाने के लिए कोई प्रावधान नहीं है । प्रशासक लगाने के लिए विधानसभा में विशेष सत्र बुलाकर पंचायत राज एक्ट में संशोधन करना पडेगा जो कि अब सम्भव नहीं है।
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मेघवाल ने कहा कि मेरी समझ से परे है कि जिन पंचायत समितियों में सरपंच/उप सरपंच/ वार्ड पंच के चुनाव हो रहे है उसमें देखा गया है कि उपसरपंच के चुनाव में नाम वापिस लेने का कोई विकल्प या काॅल्म ही नहीं डाला गया है। आज पूरे दिन अधिकारी असमंजस में रहे और राज्य निर्वाचन आयोग ने भी इस पर कोई टिप्पणी नहीं की।
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जब जिला परिषद के वार्डों में कोई पुनर्गठन/परिसीमन नहीं था तो उनके चुनाव राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग प्रथम, द्वितीय व तृतीय चरण में क्यों नहीं करा रहे हैं। दोहरे चुनाव कराने से सरकारी मशीनरी/सरकारी खजाने पर भार पडे़गा। अभी राज्य सरकार वित्तिय संकट से गुजर रही है फिर सरकार आम जनता पर दोहरी मार क्यों डाल रही है? जितना भी अतिरिक्त व्यय होगा, वो राज्य सरकार के बजट से करना पड़ेगा जो कि जनता का पैसा है, जनता के विकास में लगाना चाहिए।
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समय पर चुनाव नहीं होने की स्थिति में बीकानेर, खाजूवाला, लूनकरनसर व कोलायत के सरपंचगण (ग्राम पंचायतों/पंचायत समितियों में) रोजमरा के काम कौन करेगा! चाहे इंतकाल हो, नरेगा हो अन्य सरकारी काम जो ग्राम पंचायत/पंचायत समिति लेवल पर होते हैं। राज्य सरकार व राज्य निर्वाचन आयोग ने राजस्थान सरकार की भोली भाली जनता का ऐसा मजाक उडाया है जैसे श्रीगंगानगर जिले की अनुपगढ व घडसाना पंचायत समितियों में प्रथम चरण में चुनाव घोषणा एवं चुनाव चिन्ह आवंटन करने पश्चात् चुनाव स्थगित करने के बाद वहां के प्रत्याशियों व वहां की जनता के साथ कांग्रेस सरकार ने एक छलावा किया है, वैसे ही राजस्थान सरकार, राजस्थान की भोली भाली जनता के साथ धोखा एवं वित्तीय भार बढाने जा रही है।