बीकानेर Abhayindia.com एमएन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंंटर में एक युवती की आंखों में वी-2 आईपीसीएल क्वालिटी का फेकीक लेन्स लगाकर सफल ऑपरेशन किया है। युवती की आंखों पर माइंस 11 प्वॉइंट का चश्मा था। ऑपरेशन के बाद उसे हटा दिया गया है।
एमएन हॉस्पिटल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अरविन्द मोहता के अनुसार उक्त युवती का लेसिक लेजर द्वारा ऑपरेशन संभव नहीं था। क्योंकि युवती की कार्निया की मोटाई लेसिक लेजर के लिए उपयुक्त नहीं थी एवं चश्मे के नम्बर भी ज्यादा होने की वजह से लेसिक लेजर पद्धति द्वारा ऑपरेशन संभव नहीं था।
डॉ. मोहता ने बताया कि मरीज की आंख की पुतली की मोटाई, वाईट टू वाईट को जयपुर से डिजिटल केलीपर मंगवाकर लेन्स के पॉवर की गणना करके वी-2.0 आईपीसीएल लगाने का निर्णय लेकर मरीज को लेन्स प्रत्यारोपित किया। इसके बाद की दोनों आंखों में सामान्य रोशनी (6/6) की रिकार्ड की गई। इस तरह का ऑपरेशन करके फेकीक लेन्स का प्रत्यारोपण बीकानेर में पहली बार किया गया है।
एमएन हॉस्पिटल के निदेशक मोहम्मद अली ने बताया कि मरीजों को अब महानगरों की तरफ जाने की जरुरत नहीं होगी। इस प्रकार की अत्याधुनिक ऑपरेशन पद्धति बीकानेर के अस्पताल में अब नियमित रूप से डॉ. अरविंद मोहता द्वारा अपनाई जा रही है।
ज्यादा नजर नहीं आता था…
निदेशक मोहम्मद अली के अनुसार उक्त युवती को चश्मे के बिना एक फीट से ज्यादा दूरी तक दिखाई नहीं देता था, इसके लिए मरीज को या तो बहुत ज्यादा नम्बरों का चश्मा लगाना पड़ता था, या इससे बचने के लिए कान्टेक्ट लेन्स लगाने पड़ते थे, मगर यह कान्टेक्ट लेन्स लगाकर ना आप सो सकते हो उससे इन्फेक्शन होने का भी खतरा बना रहता था। उन्हें रात को रोज हटना पड़ता है और सुबह रोज लगाना पड़ता है। इसलिए ये इतने ज्यादा नम्बर में उपयुक्त नहीं होते ऊपर से मरीज की तीन माह बाद शादी है। जिसमे मरीज को और भी ज्यादा असुविधा होती।










