आज मजदूर दिवस (1 मई) के मौके पर बीकानेर की जानी-मानी कवयित्री कथाकार डॉ. मेघना शर्मा की यह रचना….
पनीली आंखों में
सपनों के भंवर लिए
श्रम की झोंपड़ी में
आस का दिया लिए,
अट्टालिकाओं की बुनियाद रखती
पसीने की बूंदों में
जल सी नमी लिए
कंक्रीट पर बीती ज़िन्दगी में
सुकून की छत देता
हिम्मतों का फावड़ा लिए,
अधजली रोटी के टुकड़ों से
बालकों को बहलाता, गोद लिए
बटन रहित फटी कमीज़ के
चीथडों पर भविष्य के धागे बुनता
मेहनत की सुई लिए,
चला आ रहा नंगे पांव
टूटी तगारी में
चूल्हे की लकड़ी लिए,
तंग पाइप की नली में बसेरा बसाए
सपने लिए, मज़दूर है वो
निर्माण और पुनर्निर्माण का
सुखद भविष्य लिए
मज़दूर है वो!
(कवयित्री कथाकार)
बीकानेर, राजस्थान