








जोधपुर abhayindia.com नवम्बर 2019 में होने वाले नगर निकायों के चुनावों में राजस्थान सरकार द्वारा 10 जून को दिये गये परिसीमन के आदेश के बाद बीकानेर नगर निगम के प्राधिकृत अधिकारी द्वारा किए गए परिसीमन में मांगी गई आपतियों के ड्राफ्ट में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के वार्ड नहीं बताये जाने पर राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर के न्यायाधिपति दिनेश मेहता ने राज्य सरकार पर नाराजगी जाहिर की व अतिरिक्त महाधिवक्ता को तुरंत बुलाकर नोटिस थमाते हुए सरकार व नगर निगम बीकानेर को तलब किया।
याचिकाकर्ता भाजपा नेता सुरेन्द्रसिंह शेखावत की ओर से उच्च न्यायालय जोधपुर में उपस्थित अधिवक्ता निमेष सुथार ने जानकारी देते हुए बताया कि याचिका में मुख्य रूप से राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 3, 6, 9 व 10 तथा राजस्थान नगरपालिका चुनाव नियम 1994 के नियम 3 व 4 के स्पष्ट उल्लंघन के आधार पर परिसीमन प्रक्रिया शुरू से शून्य करार करवाने के लिए मांग की गई है।
गौरतलब है कि बीकानेर नगर निगम के परिसीमन के लिए आपति के समय न तो अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के वार्ड नहीं बताये गये जो कि नियमों के हिसाब से आवश्यक है और न ही किसी वार्ड की जनसंख्या बताई गई है जिससे कि वार्डो के क्षेत्र के विरुद्ध धारा 9 व 10 के तहत कोई आपति ली जा सके। साथ ही नगर निगम के क्षेत्र से सटते बहुत बडे भूभाग जैसे उदासर, विराट नगर, डिफेन्स कॉलोनी, वृन्दावन नगर आदि गहन आबादी के क्षेत्र भी परिसीमन के बाहर रख दिए गए हैं। राज्य सरकार के परिसीमन के लिए दिये गये उक्त आदेश में दिये गये स्पष्ट दिशा निर्देशों की भी अनुपालना 5 जुलाई को परिसीमन के विरुद्ध मांगी गई आपति व ड्राफ्ट परिसीमन व ड्राफ्ट मैप से परिलक्षित नहीं होती है।
उक्त सम्बन्ध में कई मांग पत्र भी विभिन्न संस्थाओं की ओर से दिये गये, लेकिन प्राधिकृत अधिकारी द्वारा कोई उचित आश्वासन न मिलने और पूर्व के चुनावों में भी इस तरह की आपतियो को दरकिनार करने की निगम की प्रवृत्ति को देखते हुए व्यथित होकर उच्च न्यायालय की शरण ली, जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायाधिपति दिनेश मेहता ने याचिका व स्थगन के नोटिस जारी कर अगली सुनवाई 23 जुलाई को रखी।





