बीकानेर abhayindia.com हिरण शिकार की आशंका में कोलायत पुलिस ने दो प्रभावशाली लोगों के साथ मिलकर गांव टोकला के दलित परिवार पर ऐसा कहर बरपाया कि समूचा परिवार आज भी दहशत में है। परिवार की पीडि़ता भंवरी देवी नायक ने इस मामले को लेकर जिला पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन देकर पुलिस कर्मियों और प्रभावशाली लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की गुहार लगाई है।
पीडि़ता ने पुलिस अधीक्षक के समक्ष पेश किये गये परिवार में बताया कि गत 18 अप्रेल की रात हम परिवार के लोग घर में सो रहे थे, तभी पुलिस गाड़ी के साथ दूसरी अन्य गाडिय़ों में सवार होकर आये लोगों ने हमारें घर पर धावा बोल दिया।
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पुलिस कर्मी जबरन हमारे घर में घुस गये मेरे चारों लड़कों मोहनराम, गोरधन, दमाराम और श्रवणराम को पुलिस गाड़ी में डालकर रोही में ले गये। इस दौरान बीच बचाव करने आई मेरी बहुओं और पोतियों के साथ भी अभद्रता की। रोही में ले जाकर तीन घंटे तक चारों को बंधक बनाये रखा और निर्ममता से मारपीट कर जाति सूचक गालियां निकालते हुए धमकाया कि दुबारा किसी प्रकार की हरकत की तो रस्सी से बांधकर पेड़ पर उल्टा लटका देंगे।
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वारदात पीडि़त गोरधन राम ने बताया कि पुलिस कर्मियों ने हमारी एक नहीं सुनी और लगातार डंडों से मारते रहे। पुलिस कर्मियों ने बारी-बारी से हम चारों भाईयों पर कहर बरपाया और मार-मार कर पांव सुजा दिये। फिर यह कहकर घर के बाहर छोड़ गये कि कहीं शिकायत की तो इससे भी बुरा हश्र कर देंगे। गोरधन राम ने बताया कि पुलिस टीम के साथ वन विभाग की टीम भी शामिल थी, जिन्होंने हमारी सुनवाई नहीं की ओर जीव रक्षा समिति वाले लोगों के कहने पर हिरण शिकार करने का आरोप लगाकर बर्बरता दिखानी शुरू कर दी।
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पुलिस पर झूठा आरोप : एसएचओ :
इस मामले को लेकर कोलायत थाना प्रभारी विकाश विश्रोई का कहना है कि पीडि़त पक्ष ने इस मामले में पुलिस पर झूठे आरोप लगाये है, समूचे घटनाक्रम में पुलिस की कोई भूमिका नहीं थी। घटना वाली रात थाने की पुलिस टीम नाकाबंदी में तैनात थी। टोकला गांव में दबिश देने गई टीम वन विभाग की थी। पुलिस के दो सिपाही ऐहतियात के तौर पर वन विभाग की टीम के साथ गये थे।