Friday, April 26, 2024
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COVID-19 एवं जनजीवन – डॉ आशीष वोरा

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COVID 19 (Corona Virus Disease 2019) मुख्यतः एक श्वसन रोग है जो Novel SARS COV-2 (CORONA VIRUS 2) के संक्रमण से सन 2019 के अंत में चीन की वुहान प्रयोगशाला से कथाकथित रूप में फैला था । यह SARS COV-1 (CORONA VIRUS 1) के परिवार से हैं जिसका संक्रमण पहले सन 2008 में हुआ था । उसकी तुलना में यह ज्यादा संक्रमक है एवं इसकी 70 % बनावट पुराने कोरोना वायरस (SARS COV-1) से मिलती जुलती है ।

ध्यान दें, जिस प्रकार कहावत है कि “रोकथाम इलाज से बेहतर है ” हमे वैसे ही मुस्तैदी से आज भी बीमारी/संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रयासरत रहते हुए सचेत रहना है । जितनी ईमानदारी से हम पिछ्ले 6-7 महीनों से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे है अब उससे ज्यादा सावधनी बरतने का समय हैं। आकड़ों पर मत जावे परिस्थियां और भी भयावह हो सकती है अगर हम अभी सावधानी न बरतें ।

Fomites : संक्रमणी पदार्थ
कोई भी निर्जीव वस्तु (पेन,धन, कपड़े, व्यंजन, किताबें या खिलौने आदि के रूप में) जो संक्रामक रोगाणु को एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचा सकती हैं ।

किनका ज्यादा ध्यान रखें

• 60 वर्ष से ज्यादा आयु के व्यक्ति ।
• हृदय, दमा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप के मरीज ।
• किडनी (CKD) एवं लिवर (CLD) की बीमारी से ग्रसीत व्यक्ति ।
• प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) के मरीज़ ।
• मोटापा (obesity) के मरीज़ ।
• HIV, कर्क रोग अथवा क्षयरोग के मरीज़ जिनकी रोगप्रतिरोधक क्षमता पहले से ही कमज़ोर हैं ।
• थैलेसेमिया एवं सिकल सेल अनीमिया जैसी बीमारियों से ग्रसित व्यक्ति जिनकी लाल रक्त कोशिकाएं कमज़ोर होती है ।
• धूम्रपान करने वाले ।

क्या करें / क्या ना करें : तथ्य एवं मिथक
छोटे कदम बड़ी कामयाबी

१. ग्लव्स ना पहनें, बनिस्बत बार-बार साबुन एवं पानी से कम से कम २० सेकंड तक हाथ धोएं जिससे वायरस की बाहरी खोल नष्ट हो जाए। देखा गया है कि ग्लव्स पहन कर हम सभी सतहों को बिना किसी सावधानी के छुते है एवं अनजाने में अपने मुख, नाक एवं आँखों को हाथ लगाते रहते हैं । यह एक रेस्पिरेटरी (Respiratory) वायरस है एवं हमारे शरीर की चमड़ी से यह वायरस प्रवेश नही करता सो हाथो पर ग्लव्स पहने से बचाव नही होता ।

२. सार्वजनिक स्थानों पर, कार्यस्थलो पर एवं बाज़ारो में नोटों, सीढ़ियों की रेलिंग, टेबल, कुर्सियों के हत्थे, दरवाजों के हैंडल एवं लिफ्ट के बटन, ATM मशीन के बटन जैसी सतह जिसे बहुत लोगो ने हाथ लगाया हो उसे कम से कम हाथ लगाएं । ऐसा करने पर कम से कम 70 % अल्कोहोल (alcohol) युक्त सैनिटाइजर (जो वायरस की खोल को गलने की न्यूनतम मात्रा है) का हर बार इन वस्तुओं को छूने पर प्रयोग करें । बटनों को चाबी या कोहनी से छूए ।

३. आपस में ऑफिस/कार्यस्थलो में पैन, स्टेपलर, पेपर, पानी की बोतल आदि का आदान प्रदान न करें , अपना सामान खुद लवें । कार्यस्थलो पर अनव्यश्यक इकठ्ठे होकर बात-चीत न करें । फोन या वीडियो चैट से मीटिंग/संपर्क करें । टेक्नोलॉजी का सदुपयोग करें ।

४. अपना निजी वस्तुएं जैसे मोबाइल/चार्जर/हैडफ़ोन/हैंड्सफ्री दुसरो को न दें और ना ही उनसे लें । मोबाइल का इस्तेमाल मुख, आंखों एवं नाक के पास रखकर किया जाता है जिस्से सीधे-सीधे संक्रामण का खतरा बढ़ जाता है ।

५. कार्यस्थलो पर साथ बैठ कर चाय-नाश्ता एवं भोजन ना करे और ना ही दूसरों को अपना खाना देवें और ना उनसे लें । गिलास/जग का उपयोग ना करें बनिस्बत डिस्पोजेबल गिलास को इस्तेमाल में लाएं ।

६. आंखों के लिए चश्मे/शील्ड का प्रयोग करें । मुख के लिए ३ लेयर मास्क का प्रयोग करें। इस्तेमाल किये डिस्पोजेबल मस्क को नष्ट कर चिन्हित कूड़ेदान में फैंके ताकि वह किसी और के संपर्क में ना आएं और संक्रमण न फैले । यह जरूरी नही है की ज्यादा महँगा मास्क ही अच्छी सुरक्षा प्रदान करे, मास्क ऐसा पहने जो नाक और मुँह को पूरी तरह से ढके और आरामदयाक हो ताकि बार-बार ठीक करने के लिए हाथ न लगाना पड़े । रीयुसेबल मास्क को रोज़ गरम पानी एवं डिटर्जेंट से धोएं एवं डिस्पोसेबल मास्क का २-३ दिनों से ज्यादा प्रयोग न करें । मास्क गंदा होने पर पलट कर न पहनें एवं उसे कूड़ेदान में फेंक दें । अपना मास्क ना किसी को दें और न किसी और का मास्क लें। आज की तारीख में मास्क हमारे पहनावे का अभिन्न हिस्सा बन गया है।

७. सब्जियों एवं पैक खाद्यपदार्थ (पैक समेत) को साबुन एवं पानी से एक बार धोएं बार- बार धोने से कोई अधिक लाभ नही प्राप्त होता । कपड़े के थैले का इस्तेमाल करें जो बाद में धोया जा सके। बाजार युवा वर्ग, जिनकी रोगप्रतिरोधक शक्ति अच्छी है, सोशल डिस्टनसिंग का पालन करते हुए जावें ।

८. कम से कम २ मीटर या 6 फ़ीट की दूरी बनाएं रखें ताकि अचानक किसी के खाँसने या छीकने से हमे संक्रमण ना हो ।

उपलब्ध इलाज/ दवाएं (हमारे शस्त्र) :

 • एन्टीवायरल : Favipiravir, Remdesivir
• एन्टीबायोटिक्स : Azithromycin, Doxycycline
• एन्टीहेलमेन्थिक्स : Ivermectin
• एन्टीमलेरिअल : Hydroxychloroquine
• स्टेरॉइड्स : Dexamethasone, Methylprednisolone
• एन्टीकोअगुलेंटस : Enoxaparin, Heparin
• रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए : Vit C , Vit D, Calcium, Zinc
• प्लाज्मा थैरेपी को ICMR (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) के अनुसार ज्यादा कारगर नही पाया गया है। फिर भी किन्हीं-किन्हीं मरीज़ो में इसका फयदा देखा गया है ।
• वैक्सीन : आज की तारीख़ में उपलब्ध नही है एवं उसका अभी विभिन्न अनुसंधान केन्द्रों पर क्लीनिकल ट्रायल अलग-अलग चरणों में जारी है, जिसकेआने तक हमें ही सतर्क रहना है ।

जीवनशैली
१. हमारे शरीर का लगभग ६०% वजन पानी है सो पानी या जूस की मात्रा २-२.५ लीटर प्रतिदिन रखें, पानी गुनगुना हो तोह ज्यादा अच्छा होगा ।
२. सिर्फ अच्छा खाने से हमें फायदा नही होगा इसलिए पौष्टिक भोजन के साथ नियमित रूप से व्ययाम या वाक करें ।
३. कम से कम ८ घंटे की अच्छी नींद लें, ध्यान करें एवं योगाभ्यास करें ।
४. फल, सलाद, दही, मट्ठा का सेवन करें एवं प्रोटीन ०.८- १ ग्राम अपने प्रति किलो वजन के हिसाब से प्रतिदिन लेने की कोशिश करें ।
५. तुलसी, अद्रक, शहद जैसे पदार्थों का काढ़ा कुछ हद तक तो हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहयक हो सकता है, परन्तु ज्यादा मात्रा में लेने से वह अधिक लाभकारी नही है और न ही हमे संक्रमण से सीधे तौर पर बचाता है ।
६. गर्म पानी की भाँप दिन में दो बार लें ।
७. दमे एवं मधुमेह के मरीज़ नियमित रूप से अपनी दवाएं लें एवं शुगर की जाँच करवाते रहे ।
८. घर में भी हवा का क्रॉस वेंटिलेशन होना बहुत अव्यश्यक है ।

अपील

“मुझे कुछ नही हो सकता” यह गलत धारणा न पालें, जागरूकता ही हमारी रक्षा कर सकती है । यह एक युद्ध के समान परिसिथति है जिसका हम सबको डाटकर सामना करना है । लक्षण आने पर तुरंत ही अपने नजदिकी चिन्हित फीवर क्लीनिल अथवा जिला अस्पताल/ CMHO दफ़्तर पर सम्पर्क करें । समय बहुत संवेदनशील है और मेरी एक चिकित्सक/ एक मित्र के रूप में आप सबसे यह प्राथना है कि हम डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ अस्पताल के अंदर और आप अस्पताल के बाहर से कोरोना से इस जंग को लड़ने में हमारी सहायता करें ।

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