Friday, January 31, 2025
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शुष्‍क फल व सब्‍जी फसलों के व्‍यावसायीकरण का आधुनिक दृष्टिकोण प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन

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बीकानेर Abhayindia.com भाकृअनुपकेन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान बीकानेर के तत्वावधान में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली की ओर से प्रायोजित 21 दिवसीय शीतकालीन प्रशिक्षण ‘‘शुष्‍क फल व सब्‍जी फसलों के व्‍यावसायीकरण का आधुनिक दृष्टिकोण का आज समापन किया गया। एक फरवरी से 21 फरवरी तक चले इस प्रशिक्षण में उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पंजाब, गुजरात आसाम, आंध्रप्रदेश और राजस्थान सहित देश के विभिन्न राज्यों में स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों, राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों के 28 कृषि वैज्ञानिकों ने भाग लिया। इस प्रशिक्षण में प्रतिदिन दो सत्रों में विभिन्न विषयों पर आमंत्रित विषय विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान दिये गये।

समापन समारोह के मुख्य अति‍थि के रूप में बोलते हुए पूर्व निदेशक डॉ. ब्रजेश दत्‍त शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में शुष्‍क बागवानी फल एव सब्‍जी फसलों की खेती अत्‍यंत लाभदायक है। उन्‍होंने इस संस्‍थान से विकसित फलों और सब्जियों की नयी किस्‍मों और तकनीकियों की सराहना करते हुए कहा कि इस संस्‍थान से विकसित यह किस्‍में और तकनीकियां पूरे देश में प्रसारित होनी चाहिए और उसका एक माध्‍यम इस पाठ्यक्रम के प्रतिभागी भी बन सकते हैं। आपने विशेषज्ञों से सीखा है जो दूसरों को भी सिखाया जाना चाहिए।

संस्थान के निदेशक डॉ. जगदीश राणे ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण तकनीकियों के सम्‍प्रेषण का माध्‍यम बनना चाहिए। शुष्‍क बागवानी की नवीन तकनीकियों के माध्‍यम से फलों एंव सब्जियों के व्‍यावसायीकरण में सहायता मिलेगी।

शुष्‍क क्षेत्रीय बागवानी फसलें जैसे काचरी, काकाडि़या, बेर, आंवला, किन्‍नों, अनार, लसोडा, करोंदा, फालसा, ग्‍वारपाठा, खेजड़ी, तुरई, लोकी, आदि की वैज्ञानिक खेती एवं उन्‍नत तकनीकियों बहुत कारगर हैं। इस प्रकार के प्रशिक्षण नव तकनीकियों को किसानों तक प्रसारित करने के लिए आवश्यक होते हैं।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के निदेशक डॉ. दीपक कुमार सरोलिया ने सभी प्रतिभागियों का स्‍वागत किया। प्रशिक्षण में भाग ले रहे आंध्रप्रेदश, गुजरात, आसाम और पंजाब के प्रतिभागियों ने इस पाठ्यक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसे उपयोगी बताया। पाठ्यक्रम के समन्वयक डॉ. रमेश कुमार, डॉ. चेत राम, डॉ. . के. वर्मा एवं डॉ. पी. एस. गुर्जर ने इस कार्यक्रम की पुस्तिका का विमोचन करवाया और इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला। समापन सत्र में प्रगतिशील किसान, एसकेआरएयू के अधिकारी, भाकृअनुप के बीकानेर में स्थित केन्द्रों के अध्यक्ष एवं अन्य वैज्ञानिक भी इस अवसर पर उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में डॉ. रमेश कुमार ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया।

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