Monday, April 14, 2025
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गलतफहमी दूर करें सौभाग्य भी देता है दक्षिण मुखी घर, जानें- कैसे पाए शुभता

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एक आम गलतफ़हमी यह है कि दक्षिण मुखी घर दुर्भाग्य और बदकिस्मती लेकर आते हैं लेकिन यह पूर्ण सत्य नहीं है। मैंने अनुभवों में पाया है कि जब दक्षिण दिशा वाले घरों में वास्तु के सिद्धांतों का पालन किया जाता है, जैसे कि मुख्य द्वार को सही स्थिति में रखना, तो ये घर किसी भी अन्य दिशा वाले घरों की तरह ही कई मामलों में उससे भी अधिक सामंजस्यपूर्ण और समृद्ध हो सकते हैं। कहा गया है कि-  “दक्षिणमुखी गृहं शुभं, यत्र वास्तु विधीयते। तत्र सर्वं सुखं भवति, न कश्चित् दोषः कथ्यते।।” इसका आशय है दक्षिण मुखी घर शुभ होता है, जहां वास्तु के नियमों का पालन किया जाता है। वहां सभी सुख मिलते हैं और कोई दोष नहीं होता है।

घर का मुख्य द्वार वह जगह है जहाँ से सबसे ज़्यादा नकारात्मक या सकारात्मक ऊर्जा आती और जाती है। इसलिए, घर के निर्माण की योजना बनाते समय इसका सबसे ज़्यादा महत्व होता है। मुख्य द्वार की सही दिशा स्वास्थ्य और समृद्धि का स्वागत कर सकती है जबकि गलत दिशा वित्तीय समस्याओं का कारण बन सकती है।

वास्तु के अनुसार, बारहवें पद पर मुख्य द्वार होने से धन तथा पुत्र की प्राप्ति होती है। तेरहवें पद पर द्वार बनाने से धन की वृद्धि तथा चौदहवें पद पर द्वार बनाने से निर्भयता तथा यश की प्राप्ति होती है। यम ॐ यमायत्वा मखायत्वा सूर्यस्यत्वा तपसेदेवस्त्वा सविता मध्वानक्तुपृथिव्याः सं स्पृशस्पाहि। अर्चिरसि शोचिरसि तपोसि। गंधर्व – ॐ प्रतद्दोचेदमृतंनुविद्वान्गन्धर्बोधमबिभृतंगुहासत्। त्रीणिपदानि निहितागुहास्य यस्तानिवेदसपितुः पितासत्।

पूजा कक्ष घर का सबसे पवित्र हिस्सा माना जाता है और प्रत्येक व्यक्ति के लिए सबसे सकारात्मक और शांत स्थान माना जाता है। अगर सही दिशा में रखा जाए, तो वास्तु शास्त्र का मानना है कि मंदिर घर के सदस्यों के लिए सकारात्मकता, समृद्धि और स्वास्थ्य ला सकता है। मंदिरों को कभी भी सीधे फर्श पर नहीं रखना चाहिए। वास्तु के अनुसार, दक्षिण मुखी घर में मंदिर के लिए सबसे अनुकूल दिशा उत्तर पूर्व है।

भूमिगत जल टैंक या भंडारण आमतौर पर आपकी संपत्ति के उत्तर-पूर्व भाग में स्थित होना चाहिए। वास्तु में जल धन और प्रचुरता का प्रतीक है। इस प्रकार, इस क्षेत्र में अपने जल भंडारण को रखने से आपके घर में सकारात्मक, धन-आकर्षित करने वाली ऊर्जा का प्रवाह बढ़ सकता है।

मास्टर बेडरूम को दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए, क्योंकि यह दिशा स्थिरता प्रदान करती है और शांतिपूर्ण नींद को बढ़ावा देती है। ऐसा माना जाता है कि यह रिश्तों को मजबूत करता है और सद्भाव भी सुनिश्चित करता है। हालाँकि, बेडरूम कभी भी उत्तर-पूर्व दिशा में नहीं होना चाहिए, क्योंकि दक्षिण-मुखी घर के वास्तु के अनुसार इससे अशांति और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।

वास्तु के अनुसार, दक्षिण मुखी घर में शौचालय दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम के बीच होना चाहिए। दक्षिण दिशा में शौचालय बनवाने से यश-कीर्ति में कमी आती है। दक्षिण, दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में बाथरूम नहीं होना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इन दिशाओं में बाथरूम होने से घर में रहने वालों के स्वास्थ्य और धन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वास्तु के मुताबिक, दक्षिण मुखी घर में सीढ़ियां दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण, पश्चिम, आग्नेय, या उत्तर-पश्चिम दिशा में बनवानी चाहिए।सीढ़ियां घुमावदार नहीं होनी चाहिए और सीढ़ी की संख्या विषम होनी चाहिए। सीढ़ी जहां से शुरू हो रही है और जहां खत्म हो रही है, दोनों तरफ़ दरवाज़ा होना चाहिए। सीढ़ी के नीचे के खाली स्थान को हमेशा खाली रखना चाहिए। वास्तु के अनुसार कुछ कारण हैं जिनकी वजह से दक्षिणमुखी घर नकारात्मक परिणाम दे सकता है। यदि दक्षिण दिशा में शौचालय या बाथरूम है, तो यह घर के वास्तु को खराब कर सकता है। यदि घर के अंदर अंधेरा है, तो यह घर के वास्तु को खराब कर सकता है। यदि घर में गंदगी है, तो यह घर के वास्तु को खराब कर सकता है।

इन लक्षणों को देखकर आप समझ सकते हैं कि आपका दक्षिणमुखी घर खराब है या नहीं। यदि हाँ, तो आपको घर के वास्तु को सुधारने के लिए कुछ उपाय अनुभवी वास्तुविद से सलाह लेकर करने से लाभ होगा। दक्षिण मुखीघर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाना चाहिए, इसकी पूजा को बहुत ही उत्तम माना गया है। साथ ही बगीचे में ऐसे पौधे लगाने चाहिए जो वास्तु सम्मत हो अन्यथा वास्तु संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। दक्षिण मुखीघर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाना चाहिए, इसकी पूजा को बहुत ही उत्तम माना गया है। -सुमित व्यास, एम.ए (हिंदू स्टडीज़), काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, मोबाइल – 6376188431

वास्तु से बना पूर्वमुखी घर ला सकता है परिवार में खुशियां व प्यार

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