बीकानेर Abhayindia.com नारदजी ने कहा है। सबसे ज्यादा पतन करने वाली लक्ष्मी का मद है। यह व्यक्ति में सारे अवगुण ला देती है। यह जितने भी दोष व्यक्ति में आते हैं, सब लक्ष्मी के घमंड से आते हैं। इसलिए लक्ष्मी का अभिमान नहीं करना चाहिए। यह उदगार महंत क्षमाराम महाराज ने सोमवार को श्री गोपेश्वर-भूतेश्वर महादेव मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा श्रवण के दौरान बताई। महंतजी ने कथा में बलराम जी के नामकरण का, गोपियों द्वारा कान्हा की शिकायत करने के प्रसंग सहित भगवान श्री कृष्ण के जन्म और उसके बाद उनकी बाल लीलाओं का वर्णन किया और भगवान के वृंदावन में आकर रहने तक का प्रसंग सुनाया।
भागवत कथा में मनाया भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव, छप्पन भोग की झांकी सजाई
धूमधाम से मनाया जन्मोत्सव
श्री गोपेश्वर-भूतेश्वर महादेव मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में व्यासपीठ पर विराजे महंत क्षमाराम महाराज ने भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का वर्णन किया। जहां श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। श्रीकृष्ण की जन्म कथा हद्धय में उल्लास भ्भरने वाली और श्रद्धालु भक्तों को आनन्दित, आह्लादित करने वाली थी। जिसका भक्तों ने भरपूर आनंद लिया। वसुदेव के पात्र जंजीरों से जकड़े, सर पर शेष नाग शोभित टोकरी उठाए, जिसमें भगवान बाल रूप में विराजे जैसे ही पंडाल में प्रविष्ट हुए, चारों और नंद में आनंद भयो जय कन्हैया लाल की उद्घोष सुनाई देने लगी। पुष्पों की वर्षा और जय-जयकारों के बीच श्रद्धालु भक्तों की आंखों से अश्रुधारा बहने लगी। हर कोई भगवान के प्राकट्य से प्रसन्न और हर्षित था। महिलाऐं व्यास पीठ के समक्ष झूम-झूमकर नाचने लगी। जयकारों के उद्घोष से पंडाल गुंजायमान हो उठा। व्यास पीठ पर विराजे महंंत क्षमाराम जी महाराज ने नंद बाबा के घर में श्रीकृष्ण जन्म की खुशियों का वृतांत सुनाया। इससे पूर्व कंश की काल कोठरी में भगवान के जन्म लेने और वहां से वृंदावन में पहुंचने के घटनाक्रम का वृतांत बताया।
भगवान को लगाया छप्पन भोग लगाया
समिति के गोपाल अग्रवाल ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर आयोजन समिति की ओर से सोमवार को छप्पन भोग लगाया गया। भोग में हर प्रकार के फल, मिठाईयां, सूखे मेवे सहित अन्य खाद्य पदार्थ जो भगवान के प्रिय माने जाते हैं के भोग लगाए गए। अंत में भक्तों के बीच प्रसाद वितरित किया गया।
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