अभय इंडिया डेस्क. भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईंपीएस) अधिकारी अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी डॉ. नूतन ठाकुर के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म के मामले में पुलिस की अंतिम रिपोर्ट को अनुसूचित जाति व जनजाति निवारण अधिनियम के विशेष जज पद्माकर मणि त्रिपाठी ने स्वीकार कर लिया है। उन्होंने महिला की आपत्ति अर्जी को आधारहीन मानते हुए निस्तारित कर दिया है।
प्रकरण के मुताबिक वर्ष 2015 में घटना उस समय अधिक रोचक हो गई थी जब अमिताभ ठाकुर ने समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव पर आरोप लगाया कि उन्होंने फोन पर धमकी दी है। हालांकि उनकी रिपोर्ट जब दर्ज नहीं कि गई तब उन्होंने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लखनऊ की अदालत में अर्जी दाखिल कर मुलायम सिंह के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने की मांग की थी। उसी समय गाजियाबाद निवासी एक महिला ने भी अदालत में अर्जी देकर आरोप लगाया कि अमिताभ ठाकुर व उनकी पत्नी डॉ. नूतन ठाकुर ने उन्हें नौकरी दिलाने के बहाने अपने निवास विराम खंड बुलाया एवं उसके साथ दुष्कर्म किया।
महिला का आरोप था कि पुलिस उसकी रिपोर्ट दर्ज नहीं कर रही है। अमिताभ ठाकुर की अर्जी पर अदालत ने रिपोर्ट तलब करने के साथ महिला की भी अर्जी पर रिपोर्ट तलब की। महिला की अर्जी पर गोमती नगर थाने के वरिष्ठ उपनिरीक्षक रामराज कुशवाहा ने अदालत में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर कहा था कि कॉल डिटेल से घटना के दिन महिला की उपस्थिति लखनऊ में नहीं पाई गई और आरोप झूठे मिले। उधर, अमिताभ ठाकुर की अर्जी पर पुलिस रिपोर्ट आने के बाद जब तत्कालीन मुख्य न्यायिक मजिस्टे्रट सोम प्रभा त्रिपाठी ने 11 जुलाई, 2015 को मुलायम सिंह के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया तब उसी दिन गोमतीनगर पुलिस ने बिना अदालत के आदेश पर महिला की रिपोर्ट दर्ज की थी।
अमिताभ ठाकुर का आरोप था कि अदालत की सूचना मिलते ही मुलायम सिंह के इशारे पर उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी गई है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि महिला एवं उसके पति के कलमबंद बयान, पुलिस द्वारा दर्ज बयान एवं महिला आयोग के समक्ष दर्ज बयानों में काफी विरोधाभास है। विभूति खंड थाने की महिला उपनिरीक्षक निदा अर्शी ने जब महिला के मूल निवास पर जाकर जांच की तो उसने एवं उसके पति ने शपथ पत्र देकर कहा कि अस्वस्थ होने के कारण वह मुकदमा नहीं चलाना चाहती।