राजस्थान हाईकोर्ट ने समायोजित शिक्षाकर्मियों के मामले में सुनाया अहम् फैसला
बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। राजस्थान की अनुदानित शिक्षण संस्थाओं के जिन कर्मचारियों और शिक्षकों का पूर्व में सरकारी स्कूलों में समायोजन हो गया था, उनको अब पेंशन की टेंशन नहीं रहेगी। राजस्थान उच्च न्यायालय की ओर से गुरुवार को किए गए एक महत्वपूर्ण फैसले के अनुसार अब इन्हें राजस्थान सिविल सर्विस (पेंशन) रूल्स 1996 के तहत पेंशन का लाभ मिल सकेगा। वर्तमान में इन कर्मचारियों को एन.पी.एस. (अंशदायी पेंशन योजना) देय है।
राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश गोपालकृष्ण व्यास व न्यायाधीश मनोज गर्ग की खंडपीठ की ओर से किए गए निर्णय के अनुसार उक्त पेंशन का लाभ प्राप्त करने के लिए कर्मचारियों को एडेड संस्था में नियुक्ति तिथि के बाद प्राप्त की गई प्रोविटेंड फंड की राशि छह प्रतिशत ब्याज सहित जमा करानी होगी। यह राशि जमा कराने के लिए न्यायालय ने फैसले की तिथि से दो माह तक का समय दिया है। न्यायालय ने राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी वेलफेयर सोसायटी आदि सहित पांच अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई करते हुए यह निर्णय किया है। प्रार्थीगणों की ओर से पैरवी एडवोकेट एम. एस. सिंघवी, जोग सिंह, मनोज भंडारी, सज्जन सिंह राठौड़, हेमंत दत्त ने की।
इधर, न्यायालय के इस महत्वपूर्ण फैसले पर समायोजित कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई है। राजस्थान समायोजित अनुदानित शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेश महामंत्री एवं जोधपुर निवासी जे. पी. व्यास ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे हजारों समायोजित कर्मचारियों को लाभ मिल सकेगा। उल्लेखनीय है कि व्यास अनुदानित शिक्षाकर्मियों की मांगों को लेकर वर्ष 1983 से संघर्षरत रहे हैं। अनुदानित संस्थाओं से राज्य सरकार में समायोजन को लेकर भी व्यास के नेतृत्व में पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान कई मूवमेंट किए गए थे। आखिरकार सरकार ने अनुदानित कर्मचारियों का सरकारी सेवा में समायोजन कर दिया था।