बीकानेर abhayindia.com दिल्ली में आबादी के बीच चल रही फैक्ट्री में लगी आग से हुई 43 लोगों की मौत ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। इस हृदय विदारक घटना के बाद बीकानेर शहर के हालात देखें तो स्थिति कुछ ज्यादा ठीक नहीं है। यहां भी जैन मार्केट, गणपति प्लाजा, लाभू जी कटला, गुरू नानक मार्केट, श्रीतोलियासर मार्केट समेत ऐसे कई मार्केट है जो आगजनी के लिहाज से किसी भी सूरत में सुरक्षित नहीं है।
हैरान करने वाली बात है कि परकोटा की तंग गलियां भी इसमें शामिल हैं। यहां चारपहिया वाहन जा भी नहीं सकता, खास बात है कि जिम्मेदार को वर्षों से इसकी जानकारी भी है, मगर हालात आज भी जस के तस हैं। ना तो इन पर जिला प्रशासन कार्रवाई करता है और ना ही निगम। खुदा ना करे कि कोई ऐसी अनहोनी हो, मगर कभी छोटी सी चिंगारी भी उठी को आसपास के सैकड़ों घरों को राख किए बिना आग शंात नहीं होगी। इससे भी ज्यादा हैरानी तो इस बात को लेकर है कि बीते सालों में हुई भीषण आगजनी की घटनाओं के बावजूद भी जिला प्रशासन और नगर निगम प्रशासन के जिम्मेदारों की आंखे नहीं खुल रही है।
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जानकारी में रहे कि 20 नवम्बर 17 को स्टेशन रोड़ स्थित विशाल मेगा मार्ट की बिल्डिंग में लगी भीषण के कारण भारी तबाही हुई, आग इतनी भीषण थी कि एयफोर्स स्टेशन की फायरबिग्रेड के साथ सेना की मदद से दो दिनों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। मेगामार्ट में लगी आग की चपेट में आने से होटल वृन्दावन रिजेंसी में भी खासा नुकसान हुआ, गनीमत रही कि आग की लपटें समीप में स्थित पेट्रोल पंप तक नहीं पहुंची हालात जबरदस्त भयावह हो जाते।
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इसी तरह 21 दिसम्बर 16 में केईएम रोड पर स्थित गणपति प्लाजा के भूतल की दुकान में भभकी आग के कारण कोहराम सा मचा गया, मोबाईल एसेसरीज की दुकान में भभकी आग पर काबू पाने में दमकल दस्तों को तीन घंटे तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ी, आग की चपेट में आने से दुकान में रखा करीब पांच लाख रूपये मूल्य का सामान जलकर राख हो गया। समय रहते इस आग पर काबू पा लिया वरना पूरा गणपति प्लाजा तबाह हो जाता,क्योंकि इस प्लाजा में आगजनी पर काबू पाने के बंदोश्बत पुख्ता नहीं है।
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वहीं 27 सितम्बर 2017 को शहर के अतिव्यस्तम खजांची मार्केट में मंगलवार अलसुबह पांच दुकानों में आग लग गई, जिससे दुकानें और उनमें रखा सामान जलकर राख हो गया। गनीमत रही कि आग को समय रहते काबू पा लिया, जिससे बड़ा हादसा टल गया। आग को बुझाने के लिए पांच दमकलें मौके पर पहुंची।आग लगने से हुए धुएं और मार्केट में संकरी जगह के कारण राहत व बचाव कार्यों में बाधा उत्पन्न हुई। यह तीन घटनाएं तो महज बानगी है कि बीकानेर शहर इससे भी बड़ी आगजनी की घटनाओं का दंश झेल चुका है।
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आगजनी के बाद जिम्मेदारों की आंख खुल जाती है। आनन-फानन में दो-चार के खिलाफ फोरी कार्रवाई करते हैं और जैसे ही मामला ठंडा पड़ता है, चुपचाप बैठ जाते हैं। जिला प्रशासन-निगम और पुलिस कागजी कार्यवाही तक सीमित रहते हैं। इंदौर में हॉस्टल में लगी आग के बाद भी बीकानेर में जिला कलक्टर से लेकर निगम के अधिकारी जागे थे, लेकिन 15 दिन बाद फिर सब सो गए।
दिल्ली में हुए अग्रिकांड 40 से अधिक लोगों की मौत हो गई। ऐसी ही घटना बीकानेर में हो जाए तो उसे बुझाने में नगर निगम के दमकल कर्मियों को पसीने छुट जाएंगे। क्योंकि शहर में बनी अधिकतर बहुमंजिला इमारतें, कॉम्पलेक्सों में आगजनी की घटनाओं की रोकथाम के लिए बायलॉज के अनुसार पुख्ता व्यवस्था नहीं है। तो कई बहुमंजिला इमारतों की ऊंचाई 40 फीट से अधिक है। जबकि नगर निगम पास 40 फीट की ऊंचाई तक ही आग बुझाने की क्षमता वाली फायर ब्रिगेड ही है। राजस्थान भवन विनियम 2013 बायलॉज के तहत बहुमंजिला इमारतों के निर्माण की स्वीकृति के साथ ही फायर फाइटिंग सिस्टम लगाने की इजाजत लेनी होती है। इसके साथ ही फायर स्टेशन प्रभारी से इसकी जांच करवाने के बाद नगर निगम से फायर की एनओसी लेना आवश्यक है, लेकिन अधिकतर बिल्डर, काम्पलेक्स मालिकएनओसी नहीं लेते। बिना एनओसी के बहुमंजिला इमारतों में रहवास तक नहीं किया जा सकता है मगर अनदेखी के कारण सब चुप है।