







बीकानेर abhayindia.com मौसम को देखते हुए भेड़ों में बीमारियों की आशंका रहती है। ऐसे में भेड़पालक क्या जतन करें, ताकि भेड़ों को रोगों से बचाया जा सके।
बीछवाल स्थित भेड़-ऊन अनुसंधान केन्द्र के प्रभागाध्यक्ष डॉ.एच.के. नरुला ने अभय इंडिया के साथ बातचीत में भेड़पालकों को इस मौसम में किसी तरह के जतन करने है, इस बारे में अवगत कराया। डॉ.नरुला ने बताया कि कई तरह की बीमारियां होती है, जो मौसमी होती है।
ऐसे में जरूरी है कि भेड़पालक समय पर भेड़ों का टीकाकरण कराएं, इससे काफी हद तक भेड़ों की मृत्यु दर में कमी आ सकती है। उन्होंने बताया कि भेड़ों में खास तौर पर चार-पांच तरह की मुख्य बीमारियां रहती है। कई बार अज्ञानता के कारण भेड़पालक समय पर टीकाकरण नहीं करा पाते, इससे उनको नुकसान उठाना पड़ता है।
इसी तरह की एक बीमारी है फड़किया इसमें समय पर उपचार नहीं कराने पर मृत्यु दर बढ़ती है, यह ज्यादा खाने पर होती है। इसी तरह से ‘ओरी’ रोग है, जिसका तीन साल में एक बार टीकाकरण होता है, समय पर टीका लग जाए तो इससे बचाव संभव है, लेकिन लापरवाही रहने पर इससे कई बार पूरी रेवड ही खत्म हो जाती है। इसके अलावा माता रोग जिसका टीकाकरण संभव है। वहीं गलतियां रोग होने पर उस भेड़ की छंटनी करना ही उत्तम रहता है।
मगरा नस्ल है प्रमुख है…
बीकानेरी चौखला या मगरा नस्ल की भेड़ की ऊन सबसे उत्तम क्वालिटी की ऊन होती है। यह गलीचा उत्पादन के लिए उपयुक्त है। चमकदार धागा होता है।
संस्थान में इनके संरक्षण के लिए परियोजना चल रही है। कई गांव भी गोद ले रखें है, जहां भेड़ पालकों को विभाग की तरफ से भेढ़े मुहैया कराए जाते है।



