बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। कृषि उपज मंडी में ठेकेदार, क्रय-विक्रय समिति और राजफैड अधिकारियों की मिलीभगत से मूंगफली की सरकारी खरीद में चल रहे भ्रष्टाचार के बड़े खेल को लेकर जांच कार्यवाही की मांग उठने लगी है। काश्तकारों का कहना है कि यदि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो उच्च स्तरीय जांच करें तो बीकानेर में मूंगफली की सरकारी खरीद में हुए करोड़ों रूपये के घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है।
सूत्रों की मानें तो समर्थन मूल्य पर मूंगफली की सरकारी खरीद के साथ शुरू हुए भ्रष्टाचार के इस खेल में ठेकेदार, क्रय-विक्रय समिति और राजफैड अफसरों ने मिलीभगत कर सैंकड़ों टन दागी और गुणवत्ताहीन मूंगफली की बोरियों से गोदाम भर दिये। एक जागरूक काश्तकार ने बताया कि सरकारी खरीद के बाद भंडारण की गई मूंगफली के गोदामों की गहराई से जांच की जाये तो सच्चाई उजागर हो सकती है। इन गोदामों में आगे वाली ढेरियों में अच्छी क्वालिटी वाली मूंगफली की बोरियों के पीछे की ढेरियों में सैकड़ों टन दागी और गुणवत्ताहीन मूंगफली की बोरिया भरी पड़ी है।
जानकारी में रहे कि मूंगफली की सरकारी खरीद का समर्थन मूल्य 4850 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित है। इसके तहत बेदागी और उच्च क्वालिटी वाली मूंगफली खरीद की जा रही है। जबकि दागी और गुणवत्ताहीन मूंगफली का बाजार भाव 3500 रूपये प्रति क्विंटल है। दोनों के भावों में 950 रूपये प्रति क्विंटल का अंतर है। काश्तकारों की मानें तो अच्छी क्वालिटी की मूंगफली पहले ही बाजार में बिक चुकी है। जो दागी और घटिया क्वालिटी की मूंगफली बची उसकी फर्जी गुणवता रिपोर्ट के जरिये समर्थन मूल्य पर खरीद कर गोदाम भर दिए।
यूं होती है मूंगफली की गुणवत्ता परख
सरकारी मापदंडों के अनुसार समर्थन मूल्य पर खरीद के लिये 75 प्रतिशत गोटे और 25 प्रतिशत छिलके वाली मूंगफली को गुणवत्तायुक्त मानदंडों के अनुरूप मानी जाती है। वहीं 60 प्रतिशत गोटे और 40 प्रतिशत छिलके वाली मूंगफली को गुणवत्ताहीन तथा दागी मूंगफली को भी गुणवत्ताहीन की श्रेणी में रखा गया है।
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