Friday, May 3, 2024
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बीकानेर : वन्य जीव संरक्षण के लिए पारम्परिक स्त्रोतों की आवश्यकता, एमजीएसयू में व्याख्यान आयोजित…

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बीकानेर abhayindia.com वाइल्ड लाइफ डे पर महाराज गंगासिंह विश्वविद्यालय में गुरुवार को व्याख्यान आयोजित किया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने ‘वन्य जीव संरक्षण के लिए पारम्परिक स्त्रोतों की आवश्यकता’ विषय पर व्याख्यान दिया। इसमें शिक्षक, विद्यार्थी एवं शोधार्थियों ने भाग लिया। इस अवसर पर पर्यावरण विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनिल कुमार छंगाणी ने थीम के अनुसार व्याख्यान दिया।

प्रो. छंगाणी ने वन्य जीव संरक्षण में स्थानीय लोगों के साथ परंपरागत स्रोतों जैसे ओरण, गोचर, नाडी, तालाब, आगोर, जोहड़ और पायतन आदि के योगदान पर प्रकाश डाला। तथा बताया कि किस तरह से कोविड महामारी में थार मरुस्थल के लोगों, मवेशियों और वन्यजीवों को इन परंपरागत श्रोताओं जैसे ओरण, गोचर, नाडी, तालाब, जोहड़, आगोर व पायतन ने भोजन, चारा और पानी उपलब्ध कराया, जिसके चलते थार मरुस्थल के लोगों के न्यूट्रिशन और इम्यूनिटी को बनाए रखा।

नतीजा देश व दुनिया की तुलना में थार मरुस्थल के लोगों मैं कोविड महामारी से होने वाली मृत्यु दर कम थी, व रिकवरी रेट ज्यादा थी। प्रो. छंगाणी ने बताया कि आज विकास की अंधी दौड़ में इन परंपरागत स्रोतों को बचाने की महती आवश्यकता है। इससे हम आने वाली चुनौतियों और महामारी से खुद को बचा पाए। साथ ही जिस तरह से हमारे पूर्वजों ने इन परंपरागत स्रोतों जैसे ओरण, गोचर, नाडी, तालाब, जोहड़, आगोर व पायतन को संरक्षित किया हमें भी आने वाली पीढ़ी के लिए इन्हें बचाना आवश्यक है।

ऐसा कर परंपरागत स्रोतों के साथ हमारी जैवविविधता और वन्यजीव को भी बचा पाएंगे।

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