बीकानेर abhayindia.com पौष शुक्ल पूर्णिमा शुक्रवार को धुंधला चंद्रग्रहण रहेगा। ज्योतिषों का कहना है कि भारत में ग्रहण के समय चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया से गुजरेगा, इसलिए उसकी कांति में मलीनता दृष्यमान होगी, लेकिन पूर्ण चंद्रगहण नहीं होगा। इससे यहां सूतक नहीं माना जाएगा।
पंडित गेवरचंद भादाणी ने बताया कि बताया कि सूर्य, पृथ्वी एवं चंद्रमा की सीध से उत्तरी एवं दक्षिणी अमरीकी महाद्वीपों में विरल छाया से गुजरने के कारण चंद्रमा की रोशनी 10 से 30 प्रतिशत तक कम दिखाई देगी। इससे चंद्रामा में ग्रहण का असर 3 प्रतिशत से कम रहेगा।
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ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार 3 प्रतिशत से कम का ग्रहण एवं उपछाया ग्रहण की श्रेणी में नहीं माना गया है, जिसके तहत भारत में सूतक मान्य नहीं होंगे। भारतीय समयानुसार रात्रि 10.35 बजे स्पर्श, 12.37 बजे मध्य एवं 2.38 बजे के बीच धुंधले चंद्रमा को आसानी से खुली आंखों से देखा जा सकेगा।
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पंचांग अनुसार जो चंद्र ग्रहण खुली आंखों से स्पष्ट रूप से न दिखाई देता हो उस चंद्रग्रहण का धार्मिक महत्व नहीं होता है। उपछाया वाला चंद्रग्रहण खुली आंखों से न दिखाई देने के कारण इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।