पाकिस्तानी सेना के कब्जे में पहुंच गए भारतीय पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान का पाकिस्तान बाल भी बांका नहीं कर सकेगा। जिनेवा संधि के तहत पाकिस्तान उसे भारत को लौटाने के लिए बाध्य है, क्योंकि पायलट अभिनंदन पर युद्धबंदी होने के नाते उनके ऊपर जेनेवा संधि के नियम लागू हो गए हैं। इस समझौते के तहत ऐसे किसी युद्धबंदी के साथ अमानवीय बर्ताव नहीं किया जा सकता है। युद्ध बंदी को डराया-धमकाया नहीं जा सकता है। उसे किसी तरह से अपमानित भी नहीं किया जा सकता है।
आपको बता दें कि मंगलवार को भारत ने पीओके में घुसकर आतंकी शिविरों पर बम बरसाए थे। उससे खीझी हुई पाकिस्तानी वायुसेना ने बुधवार को भारत में अपने लड़ाकू विमान भेजे। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के एक विमान एफ-16 को मार गिराया, हालांकि इस दौरान भारत का एक लड़ाकू विमान मिग-21 नष्ट हो गया, इसके पायलट विंग कमांडर अभिनंदन पाकिस्तान के कब्जे में हैं तथा उसका इलाज कराया जा रहा है।
जिनेवा संधि के तहत इससे पहले कारगिल युद्ध में भी भारतीय पायलट नचिकेता को छोडऩा पड़ा था। जबकि 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को भारत ने युद्धबंदी बना लिया था, जिन्हें बाद में सुरक्षित छोड़ दिया गया था।
मेजर जनरल रिटायर्ड के. के. सिन्हा के मुताबिक कारगिल युद्ध के दौरान फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता का पाकिस्तान में उतरना और पाक सेना द्वारा उन्हें पकडऩा और फिर उनका सही-सलामत वापस आना एक बड़ा उदाहरण देश के सामने है। सिन्हा ने कहा कि अगर हमारे पायलट को कुछ भी होता है तो यह जिनेवा एक्ट का उल्लंघन होगा और यह पाकिस्तान को बहुत भारी पड़ेगा। जिनेवा संधि के तहत युद्धबंदी से कुछ पूछने के लिए उसके साथ जबरदस्ती नहीं की जा सकती। उनके खिलाफ धमकी या दबाव का इस्तेमाल नहीं हो सकता। पर्याप्त खाने और पानी का इंतजाम करना उन्हें बंधक रखने वालों की जिम्मेदारी होगी। उन्हें वही मेडिकल सुविधाएं भी हासिल होंगी जो भारत मुहैया करवाता।
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