Monday, November 25, 2024
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अटलजी पैदल जाते थे संसद, जानिये उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें…

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नई दिल्ली पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सार्वजनिक जीवन में शालीनता की मिसाल थे, उनके व्यक्तित्व में छद्म आवरण नहीं के बराबर था। उनका आचरण हर स्थिति में सहज रहता था। लंबे समय तक उनके साथ रहे लालकृष्ण आडवाणी, उनके करीबी सहयोगियों और कुछ लेखकों ने अटलजी से जुड़े दिलचस्प किस्से समय-समय पर साझा किए हैं। यहां प्रस्तुत हैं संग्रहित दिलचस्प बातें…

पैदल संसद जाते थे

लालकृष्ण आडवाणी ने एक बार मीडिया को 1957 का किस्सा बताया था। तब अटलजी पहली बार सांसद बने थे। भाजपा नेता जगदीश प्रसाद माथुर और अटलजी दोनों एक साथ चांदनी चौक में रहते थे। दोनों पैदल ही संसद जाते-आते थे। छह महीने बाद अटलजी ने रिक्शे से चलने को कहा तो जगदीश प्रसाद माथुर को आश्चर्य हुआ। दरअसल, उस दिन उन्हें बतौर सांसद छह महीने की तनख्वाह एक साथ मिली थी। माथुरजी के शब्दों में यही हमारी ऐश थी।

टीवी बंद कर दिया तो नाराज हो गए

अटलजी जब नौ साल बीमार रहे। वे अक्सर टीवी देखा करते थे। 2014 में हुए कुछ चुनाव नतीजे भी उन्होंने टीवी पर देखे। वे बोलते नहीं थे, लेकिन उनके चेहरे पर आ रहे हाव-भाव खबरों को लेकर उनकी रिएक्शन बता देते थे। परिवार के सदस्य और सहयोगी उन्हें अखबार पढ़कर सुनाते थे। एक बार टीवी पर सदन की कार्यवाही का प्रसारण हो रहा था, तभी किसी ने टीवी बंद कर दिया तो अटलजी बच्चों की तरह गुस्सा हो गए। बाद में जब दोबारा टीवी चालू किया गया तो उनके चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। जब पुरानी फिल्में टीवी पर आ रही होती थीं तो वो मौन होकर देखा करते थे।

चुनाव हारकर फिल्म देखने चले गए थे

वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के हवाले से आई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली में नयाबांस का उपचुनाव था। हमने बड़ी मेहनत की, लेकिन हम हार गए। हम दोनों खिन्न थे। दुखी थे। अटलजी ने मुझसे कहा कि चलो कहीं सिनेमा देख आएं। अजमेरी गेट में हमारा कार्यालय था और पास ही पहाडग़ंज में थिएटर। नहीं मालूम था कि कौन-सी फिल्म लगी है। पहुंचकर देखा तो राज कपूर की फिल्म थी- ‘फिर सुबह होगी’। मैंने अटलजी से कहा, ‘आज हम हारे हैं, लेकिन आप देखिएगा सुबह जरूर होगी।’ हम अक्सर तांगे से अजमेरी गेट से झंडेवालान तक खाना खाने जाते थे।

बिना पूछे पीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया

आडवाणी के मुताबिक, मैंने 1995 में मुंबई की सभा में यह घोषणा कर दी कि मुझे भरोसा है कि अगले साल होने वाले चुनाव में हमारी पार्टी विजयी होगी और तब हमारे प्रधानमंत्री वाजपेयी होंगे। वे मंच पर बैठे थे। उन्होंने तुरंत कहा कि यह आपने क्या घोषणा कर दी। मुझसे पूछा भी नहीं?Ó मैंने कहा कि मैं पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते इतना अधिकार तो रखता हूं आप पर कि आपको पीएम पद का उम्मीदवार बना दूं।

बच्चे की तरह डिज्नीलैंड का लुत्फ लिया

करियर का कोई भी पड़ाव क्यों न रहा हो, उनके अंदर का ‘बालकÓ हमेशा जीवित रहा। 1993 की बात है। अमेरिका दौरे के वक्त फुर्सत के पलों में वे ग्रैंड कैनियन और डिज्नीलैंड जा पहुंचे। बाल सुलभ कौतूहल के साथ लाइन में लगे। टिकट खरीद कर राइड्स का आनंद लिया। उनके व्यक्तित्व का यह पहलू बहुत कम जाना गया।

हाथ में थमा दी पर्ची

यह बात 1996 की है। वाजपेयी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। नरसिम्हा राव ने चुपके से वाजपेयी के हाथ में एक पर्ची पकड़ाई। ऐसे कि कोई देख न पाए। इस पर्ची में राव ने वे बिंदु लिखे थे जो वह खुद बतौर प्रधानमंत्री करना चाहते थे, किंतु चाहकर भी न कर पाए।

मैं खुद को भारत रत्न कैसे दे दूं…

कारगिल युद्ध के बाद अटलजी को उनके कुछ मंत्रियों ने कहा कि हम आपको भारत रत्न देना चाहते हैं। अटलजी ने डांटते हुए कहा कि मैं खुद को भारत रत्न दे दूं क्या? भविष्य में किसी सरकार को लगेगा तो वो देगी, मैं खुद को नहीं दूंगा। कारगिल युद्ध के बाद संबंध सुधारने के लिए वाजपेयी ने 2001 में परवेज मुशर्रफ को आगरा बुलाया था।

नेहरू ने कहा था- इनमें संभावनाएं हैं

बीबीसी ने किंगशुक नाग की किताब अटलबिहारी वाजपेयी- ए मैन फॉर ऑल सीजन के हवाले से लिखा था कि एक बार नेहरू ने भारत यात्रा पर आए एक ब्रिटिश राजनयिक से वाजपेयी को मिलवाते हुए कहा था कि इनसे मिलिए। ये विपक्ष के उभरते युवा नेता हैं। हमेशा मेरी आलोचना करते हैं, लेकिन इनमें मैं भविष्य की बहुत संभावनाएं देखता हूं। ये एक दिन देश के प्रधानमंत्री बनेंगे।

नवाज को फोन पर मिला था झटका

पाकिस्तानी पत्रकार नसीम जेहरा की किताब फ्रॉम कारगिल टू द कॉप में अटलजी की ओर से नवाज शरीफ का भारत दौरा रद्द किए जाने का जिक्र है। इसमें लिखा है कि 1999 में शरीफ भारत आने वाले थे। उन्होंने फैक्स से गुडविल मैसेज भी भारत भेज दिया था। करीब रात 10 बजे आया अटलजी का जवाब तोप के गोले की तरह था। उन्होंने लिखा था कि वे नवाज को भारत नहीं बुला रहे हैं, बल्कि पाकिस्तान से कारगिल में मौजूद सेना हटाने की मांग कर रहे हैं। ताकि दोनों पक्षों के बीच बातचीत की शुरुआत हो सके।

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