








बीकानेर Abhayindia.com टी-सीरिज के नए म्युजिक एलबम “श्री राम की दीवानी” की लॉचिंग जल्द ही होने जा रही है। इस एलबम के गीतों को स्वर दिया है एकता श्रीमाली ने। वहीं, म्युजिक से सजाया है प्रख्यात संगीतकार रफीक राजा ने। लिरिक्स हिमंक भारद्वाज का है।

आपको बता दें कि बीकानेर मूल के संगीतकार रफीक राजा मोहम्मद अज़ीज़ से लेकर जावेद अली जैसे सिंगर्स के साथ काम कर चुके है। रफीक राजा की इस साल चार फिल्में रिलीज के लिए तैयार है। रफीक राजा बॉलीवुड के एक ऐसे संगीतकार हैं जो हर प्रकार का संगीत देने में माहिर माने जाते हैं। उनका असली नाम तो अब्दुल रफीक है मगर फिल्मी लोगों ने उन्हें रफीक राजा बना दिया। राजस्थान के बीकानेर से सम्बन्ध रखने वाले रफीक राजा के खून में है म्युजिक या यूँ कहें कि उन्हें विरासत में यह कला मिली है। उनकी पीढ़ी दर पीढ़ी संगीत के क्षेत्र में रही है। इनके सगे फूफा गुलाम मोहम्मद साहेब फिल्म पाकीज़ा के संगीतकार थे। उनके सगे चाचा कमल राजस्थानी ने सिंगर अनवर को पहला ब्रेक दिया था और फिल्म मेरे गरीब नवाज़ से जुड़े थे।
रफीक राजा न सिर्फ कम्पोजर हैं बल्कि सिंगर भी हैं। एलबम का नाम है दर्द का पत्थर इसे ऑडियो करी कंपनी ने जारी किया है। रफीक राजा अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहते हैं “जिस तरह लक्ष्मीकांत प्यारेलाल काम करते थे मैं उसी स्टाइल में काम करता हूँ। मैंने लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को बहुत फोल्लो किया है। मुंबई के महबूब स्टूडियो में जब लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की कोई रिकॉर्डिंग होती थी, तो मैं सुबह दस बजे से अपने जीजाजी रौशन अली के साथ वहां चला जाता था और दिन भर बड़े गौर से रिकॉर्डिंग के पूरे मामा चाँद परदेसी भी संगीतकार रहे हैं।
रतनदीप हेमराज भी इनके मामा हैं। सरदार बीकानेरी और जमीर बीकानेरी भी इनके कजन हैं। इनके पिता सरकारी सर्विस में थे, लेकिन संगीत सुनने का उन्हें भी शौक था. घर में ही गीत संगीत का माहौल था। इनके उस्ताद रफीक सागर थे जिनसे इन्होंने संगीत की तालीम हासिल की। बकौल रफीक राजा “मैं उन्हें अपना गुरु मानता हूँ उन्ही की दुआओं से मैंने यह मुकाम हासिल किया है।”
इनका पहला अलबम भजन का एल्बम था, जो दस बारह साल पहले आया था. इनके एक दोस्त रायटर पंचम सिंह ने इन्हें संगीतकार बनाया। मुंबई में आकर रफीक राजा ने बतौर सिंगर लाइव शोज़ से शुरुआत की। मोहम्मद रफी साहेब के गाने वह स्टेज पर गाते थे। मेहदी हसन, गुलाम अली साहेब की गजलों को भी खूब गाया, आज भी रफीक राजा शोज़ करते रहते हैं। अब तक इनके दो दर्जन से ज्यादा अलबम रिलीज हो चुके हैं।





