Saturday, April 27, 2024
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कविता : महारथी और सारथी के सहारे …..

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  1. कविता 

महारथी और सारथी के सहारे,
कोरोना वायरस से जंग जीत जायेंगे।
चिकित्सक और नर्सिगकर्मी को भगवान माना
पुलिसकर्मी और सफाईकर्मी को सेना के जवान माना

इन्सानियत जागी है जमीर कहता है
हारेंगे नहीं करोना से हम
पुलिसवालो ने मानवता का पाठ पढाया
सोये हुए सुकून लोगो के जमीर को जगाया
सफाई कर्मियों ने कोरोना वायरस को भगाया
आखिर हार गया कोरोना, जीत गया इन्सान

हर व्यक्ति की जग अलग-अलग,
मक्सद एक ही अमन और शान्ति,
भारत में तप है तपस्वी है देश महान
धरती पावन है मोदी और योगी से

भारत की लू के गर्म लोह से
कोरोना वायरस जल जलकर, गर्मी से मर जायेगा
कोविड19 कोरोना वायरस आँधी में उड़ जायेगा
साबुन से हाथ धो-धो कर, कोरोना को धो देंगे हम

ये कैसा कहर है कोरोना का
दिल में आशा की किरणें निकली है

विश्वास और उमंग जीती है
कोरोना को जाना ही होगा
भगवान को किसी न किसी रूप में आना होगा।

2. कविता 

देश की सेना है महासेना है
महारथी और सारथी के सहारे,
कोराना को अब रोना होगा,

समय तो चलता है, बदलता है,
सुना था देखा था हाले वतन,
कभी जो कहते थे, चलती का नाम गाड़ी
आज वो कहते है रूकने का नाम ही जिन्दगानी

ये मतलबी युग का सफर निराला
अकेले जीना ही बिन्दासपन
दिलतर से अंखियाबर से, पास नहीं तो क्या हुआ
दिल में दबादबा ऐहसास तो है, शान्त मन के चचल सवाल
समुद्र में लहरों की तरह उठते है,
क्या है होगा क्या, उलझते व सुलझते रहते है
आँखों की खामोशी, मन का शुकून दुन्धे

कोरोना कम खौफ ज्यादा
ये कैसा कोराना युद्ध का कहर
लॉक डाउन, होम क्वारेंटाइन, सेनेटाइजर,
मास्क व साबुन ये सब आज जिन्दगी जीने के औजार व हथियार बन गये
सांसो की कमी जीवन में, आज सोशियल डिस्टेंसिंग बन गयी है।

– तारा स्वामी
अध्यापिका, रा.बा.उ.प्रा.वि, कोलासर, बीकानेर 

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