Friday, April 26, 2024
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पेंशन के मुद्दे पर मिली जीत के बाद अब तय होगी आगामी रणनीति

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सोसायटी के जिलाध्यक्ष सत्यप्रकाश बाना का स्कूल में अभिनंदन करते स्टाफ।
सोसायटी के जिलाध्यक्ष सत्यप्रकाश बाना का स्कूल में अभिनंदन करते स्टाफ।

बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। प्रदेश में अनुदानित शिक्षण संस्थाओं से राज्य सरकार की सेवा में आए समायोजित कर्मचारियों पुरानी पेंशन स्कीम के तहत ही पेंशन देने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ रही है। पेंशन के मुद्दे पर लंबा संघर्ष करने वाले राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी वेलफेयर सोसायटी के प्रदेशाध्यक्ष सरदार सिंह बुगालिया सहित उनकी पूरी सहयोगी टीम महामंत्री शिवशंकर नागदा, महामंत्री गोपाल छंगाणी, के. सी. मालू, नवीन शर्मा, मनोहर सिंह पातावत, देशराज मान, आदि का अजमेर में जोरदार स्वागत अभिनंदन किया गया है।

इसी क्रम में बीकानेर में भी सोसायटी की जिला इकाई की बैठक १६ सितम्बर (रविवार) को सुबह 10 बजे यहां रतन बिहारी पार्क में रखी गई है। इस बैठक में पेंशन के मामले में न्यायालय के आए महत्वपूर्ण फैसले के बाद की रणनीति पर व्यापक चर्चा की जाएगी। सोसायटी से जुड़े हुए सदस्यों की सूची के आधार पर एकत्रित सूचना से प्रदेश संगठन को अवगत कराया जाएगा। इस अवसर पर सोसायटी के जिला इकाई के अध्यक्ष सत्यप्रकाश बाना का अभिंनदन भी किया जाएगा। जिलाध्यक्ष सत्यप्रकाश बाना पेंशन को लेकर चले आंदोलन के आरंभ से ही जुड़े रहे हैं। जिला ही नहीं, बल्कि प्रदेश स्तर पर भी कर्मचारियों को सोसायटी के माध्यम से एकजुट करने में जिलाध्यक्ष बाना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं।

यह है मामला

्देश में अनुदानित शिक्षण संस्थाओं से राज्य सरकार की सेवा में आए समायोजित कर्मचारियों को गुरुवार को गणेश चतुर्थी के अवसर पर बड़ी सौगात मिली। पुरानी स्कीम के तहत पेंशन के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने जोधपुर उच्च न्यायालय के आदेश को यथावत मानते हुए इन कर्मचारियों को पेंशन का हकदार बताया। राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी वेलफेयर सोसायटी के प्रदेशाध्यक्ष सरदार सिंह बुगालिया ने ‘अभय इंडिया’ को बताया कि राज्य सरकार द्वारा जुलाई 2011 में राजस्थान के अनुदानित विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के शिक्षाकर्मियों को राजस्थान स्वेच्छया ग्रामीण शिक्षा सेवा अधिनियम 2010 के तहत समायोजन के बाद इन शिक्षाकॢयों को पेंशन योजना 1996 से वंचित रखने की नीति बना ली गई है। इस पर सोसायटी द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय की मुख्यपीठ जोधपुर की डबल बैंच में दो याचिकाएं दायर की गई। इन याचिकाओं पर न्यायाधीश गोपालकृष्ण व्यास एवं न्यायाधीश मनोज गर्ग की डबल बैंच ने इन शिक्षाकर्मियों को पुराने कर्मचारी मानते हुए पेंशन योजना 1996 के अनुसार पुरानी पेंशन देने का आदेश पारित किया। सोसायटी के लिए अधिवक्ता महेन्द्र सिंह सिंघवी व मनोज भंडारी ने पैरवी की।

सरकार ने दी थी चुनौती

प्रदेशाध्यक्ष सरदार सिंह बुगालिया ने बताया कि राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर पीठ के निर्णय के विरुद्ध राज्य सरकार ने एसएलपी दायर कर इस निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी, राज्य सरकार की एसएलपी सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश अरुण मिश्रा व विनीत शरण की डबल बैंच ने जोधपुर उच्च न्यायालय के आदेश को यथावत रखते हुए ये निर्णय दिया कि अनुदानित संस्थाओं में कार्यरत कर्मचारी जो राजस्थान स्वेच्छा ग्रामीण शिक्षा सेवा के अंतर्गत समायोजित किए गए थे, उन्हें पुरानी पेंशन योजना 1996 के तहत कर्मचारियों की मूल नियुक्ति तिथि से सेवा काल की गणना करते हुए इन्हें पुरानी पेंशन देय हैँ। प्रदेशाध्यक्ष बुगालिया ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय में राजस्थान सरकार की ओर से भारत सरकार के अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल पी. एस. नरसिम्मन व वेलफेयर सोसायटी की तरफ ससे वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. मनीष सिंघवी व एश्वर्या भाटी ने पैरवी की।

जद्दोजहद के बाद आखिर निदेशालय ने जमा किए शिक्षाकर्मियों के चैक

गणेश चतुर्थी के दिन इन कर्मचारियों को मिली बड़ी सौगात, खत्म होगी ‘पेंशन की टेंशन’

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