Saturday, April 27, 2024
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समायोजित शिक्षाकर्मी बोले: सरकार की नीति साफ नहीं, संगठन ने जताया रोष…

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बीकानेर Abhayindia.com समायोजित शिक्षाकर्मियों के प्रति सरकार की मंशा साफ नहीं है। सरकार दोयम दर्जे की नीति अपना रही है। यह कहना है लंबित मांगों का निस्तारण नहीं होने से खफा राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी संघ के पदाधिकारियों का।

प्रदेशस्तरीय आह्वान पर बुधवार को हुई प्रेसवार्ता में संगठन के पदाधिकारियों ने सरकार के खिलाफ आक्रोश प्रकट किया। इस दौरान जिला अध्यक्ष सत्यनारायण बाना के नेतृत्व में बीकानेर के श्रीडूंगरगढ़ में हुई प्रेसवार्ता में वक्ताओं ने कहा कि न्यायालय के निर्णय की अनुपालना में राज्य सरकार की ओर से पेंशन आदेश जारी नहीं करने से आक्रोश पनप रहा है।

सत्यप्रकाश बाना ने कहा कि सरकार न्यायालय के आदेशों को भी दरकिनार कर कार्मिकों को पेंशन परिलाभ से वंचित करने के कुप्रयासों व लंबित करने सरीखे दमनात्मक, छलावा व षडय़ंत्र पूर्वक समायोजन किया गया है।

जिला अध्यक्ष बाना ने कहा कि वर्ष 2011 में सरकार ने अनुदानित विद्यालय से सरकारी सेवा में समायोजन किया, तब समायोजन में पूर्व की भांति बने हुए नियम रजस्थान सिविल सेवा(पेंशन) नियम के तहत अधिग्रहण कर उन्हें राजस्थान सिविल पेंशन नियम का लाभ दिया जाता था, लेकिन सभी परिलाभ सरकारी कार्मिकों की भांति मिलते थे, लेकिन उक्त नियमों को दरकिनार कर सरकारी नौकरशाहों ने अलग से नियम इसलिए बनाए ताकि पदोन्नति स्थानान्तरण, ग्रामीण क्षेत्र में सेवा की अनिर्वायता एवं पेंशन नियम से वंचित किया जा सके।

पत्रकारों के समक्ष हनुमन्त ङ्क्षसह ने कहा कि न्यायालय खंडपीठ एवं सर्वोच्य न्यायालय के निर्णय से उक्त कार्मिकों की नियुक्ति वर्ष 2004 से पूर्व मानते हुए इन्हें पेंशन योजना 1966 का लाभ दिया जाने का आदेश दिया। बड़ी मात्रा में कार्मिकों के पीएफ का पैसा राजकोष में जमा कर लेना लेकिन उन्हें बदले में पेंशन से भी वंचित रखना, यह कैसी सरकारी तानाशाही नीति को प्रमाणित करता है।

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जोधपुर में समायोजित शिक्षाकर्मी संघ का प्रतिनिधि मंडल ज्ञापन देने जाते हुए।

वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ.प्रभा पारीक ने रोष जताते हुए कहा कि संवैधानिक अधिकारों को छीनना, सामाजिक सुरक्षा की नीति का परित्याग करना, न्यायालय के आदेशों का सम्मान नहीं करना कौनसा लोक कल्याणकारी कदम है। प्रेस वार्ता में मांगीलाल जाखड़ सहित पदाधिकारी मौजूद रहे।

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