बीकानेर Abhayindia.com अरिहंतमार्गी जैनाचार्य ज्ञानचंद्र महाराज का गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, यूपी अनेक प्रांतों के गांवों, नगरों में हजारों किलोमीटर की पदयात्रा करके 19 वर्ष बाद नोखा मंडी में पदार्पण हुआ। आपने आचार्य प्रवर नानालाल महाराज की पूर्ण समर्पण भाव से सेवा की थी। यही कारण था कि आचार्य नानेश आपको अपना प्राण कहा करते थे। शिष्य के दिल में गुरू बसते हैं, यह तो सुना जाता है लेकिन, गुरु के दिल में शिष्य बस गए, यह बेजोड़ इतिहास है– ज्ञानेश का। आपका ज्ञान बहुत ऊंचा है। तर्क, युक्ति प्रमाण के द्वारा अपनी बात का इतना प्रभावी प्रस्तुतीकरण करते हैं कि हर व्यक्ति आश्चर्यचकित हो जाता है।
आपने जब नोखा मंडी प्रवेश किया तो नोखा मंडी की जनता के अलावा बीकानेर, गंगाशहर, भीनासर, देशनोक, नागौर, आगरा, पाली, पांचू आदि अनेक गांवों– शहरों के भक्तगण उपस्थित रहे। आचार्य ने अपने प्रवचन में कहा कि सदा हंसते–मुस्कुराते रहो। हर परिस्थिति का सामना करो। मुस्कुराने से तो सारा जहां रंगीन बन जाता है, जबकि भीगी पलकों से तो आईना भी धुंधला दिखाई देता है। धैर्य, साहस एवं पुरुषार्थ से मंजिल पाया जा सकता है। भाईचारे से भी दोस्ती ज्यादा गहरी होती है।
क्योंकि भाईचारा संबंध खून से आता है, जबकि दोस्ती, दिल और दिमाग से किया होता है। वह दोस्त सच्चा होता है। प्रवचन सभा में साध्वी जागृति ने संबोधित किया। नानेश के परम विद्वान, सेवा समर्पित संत ज्ञानमुनि की सेवाओं का स्मरण किया। राष्ट्रीय प्रवक्ता जयचंदलाल ने भी सभा को संबोधित किया। राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ. नरेश जैन ने ससंघ उपस्थित होकर सभा की गरिमा बढ़ाई। 15 फरवरी का प्रवचन सेठिया भवन में 16 फरवरी को णमोत्थुणं जाप एवं प्रवचन कांकरिया भवन में संभावित है।
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