







जयपुर Abhayindia.com प्रदेश में आर्थिक अपराधों की रोकथाम और राजस्व के स्त्रोतों पर अब अधिक मजबूती से निगरानी रखी जाएगी। इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्व आसूचना एवं आर्थिक अपराध निदेशालय के गठन का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने निदेशालय के गठन संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी है। राज्य स्तर पर निदेशालय का नोडल व प्रशासनिक विभाग वित्त (राजस्व) विभाग होगा।
निदेशालय के प्रमुख कार्य : निदेशालय द्वारा आर्थिक अपराधों के नियंत्रण, अनुसंधान, जांच व अभियोजन के कार्य किए जाएंगे। इसमें भूमि पर अवैध कब्जा करने, रियल एस्टेट में धोखाधड़ी या अनियमितता करने, बैंक, बीमा या जमापूंजी संबंधी कार्य में धोखाधड़ी या अनियमितता करने, झूठा दिवालियापन घोषित करने, फर्जी कम्पनियों का गठन करने, सरकारी साख समितियों के कार्य में धोखाधड़ी करने वालों पर शिकंजा कसा जाएगा।
इसके साथ ही राज्य में राजस्व रिसाव की विभिन्न स्त्रोतों से सूचना प्राप्त कर उनका विश्लेषण एवं अन्वेषण किया जाएगा। राजस्व के समस्त स्त्रोतों पर निगरानी रखने तथा कर अपवंचना को रोकने संबंधी कार्य भी किए जाएंगे।
निदेशालय में 107 पदों का सृजन : निदेशालय में महानिदेशक/आयुक्त का एक पद, अतिरिक्त निदेशक के चार पद, संयुक्त निदेशक के 10 पद, उप निदेशक के 20 पद सृजित होंगे। यह पद प्रतिनियुक्ति से भरे जाएंगे। इनके अतिरिक्त कार्य निष्पादन के लिए मुख्य लेखाधिकारी, उप विधि परामर्शी, कनिष्ठ लेखाकार, एनालिस्ट-कम-प्रोग्रामर, प्रोग्रामर का एक-एक पद, विधि सहायक, सहायक प्रोग्रामर के दो-दो पद, सूचना सहायक के 5, वरिष्ठ लिपिक, सहायक कर्मचारी के 12-12, कनिष्ठ लिपिक के 24, वाहन चालक के 10 पद सृजित होंगे।
आपको बता दें कि राज्य में राज्य राजस्व आसूचना निदेशालय पहले से ही संचालित है। वहीं, बजट 2022-23 में आर्थिक अपराध निदेशालय की घोषणा की गई थी। अब दोनों का सम्मिलन करने से मानव संसाधन तथा अपराधों की जांच में भी विश्लेषणात्मक क्षमता का समुचित उपयोग हो सकेगा।



