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बीकानेर Abhayindia.com बीकानेर स्थापना काल से यह परंपरा रही है कि शाकद्वीपीय समाज की ओर से फाल्गुन माह की सप्तमी की शाम (खेलनी सप्तमी) कुलदेवी नागणेचीजी माता को गुलाल से फाग खेलाकर होली का आगाज किया जाता है। इसी क्रम में रविवार शाम को शाकद्वीपीय समाज के परिवार नागणेचीजी मंदिर में दर्शन के बाद माताजी को गुलाल खेलाकर होली का आगाज कर दिया। सिंह चढ़ी मां आय भवानी… गीत गाकर मंदिर से परंपरागत गेवर निकाली गई। देर रात गोगागेट से आमने सामने दो समूहों में लाल केशों, सुवटियो आदि प्राचीन भजनों को गाते–गाते शहर के विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए सेवगों के चौक में भैंरू भलो रै भलो… के साथ गेवर संपन्न करते हुए शहर को होली सौंप दी। सैकड़ों वर्षों से इस परंपरा का निर्वहन पीढ़ी दर पीढ़ी बदस्तूर जारी है। अब सप्तमी से लेकर होली तक पूरे शहर में होली पर होने वाली रम्मतें विभिन्न चौकों में मंचित होगी। होली पर विभिन्न आयोजन होंगे।
होलिका दहन सात को, होलाष्टक शुरू, ये काम रहेंगे वर्जित…
कल्चरल डेस्क। अगले महीने रंगों का पर्व होली आ रहा है। होलिका दहन 7 मार्च को है। इससे पहले आज से होलाष्टक का प्रारंभ हो गया है। अबकी बार होलाष्टक आठ के बजाय नौ दिनों का है। आपको बता दें कि हिन्दू कैलेंडर की आठ तिथियों में होलाष्टक होता है। होलाष्टक का प्रारंभ फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को होता है और यह फाल्गुन पूर्णिमा यानि होलिका दहन तक रहता है। . ऐसे में इस साल होलाष्टक 27 फरवरी से 7 मार्च तक है।
मान्यता है कि होलाष्टक में भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए कई प्रकार की यातनाएं दी गई थीं, इस वजह से होलाष्टक को अशुभ माना जाता है। होलाष्टक में ग्रह भी उग्र होते हैं। इस वजह से कोई शुभ कार्य करने या बड़े निर्णय लेने से बचा जाता है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, होलाष्टक के कारण बंद हुए शुभ कार्य होली के दिन से यानि चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ हो जाएंगे। यदि आप को कोई नया या शुभ कार्य करना चाहते हैं तो उसे 8 मार्च से कर सकते हैं। 27 फरवरी से 7 मार्च के बीच उसे करने से बचना चाहिए। होलाष्टक में क्रमश: चंद्रमा, सूर्य, शनि, शुक्र, गुरु, बुध, मंगल और राहु ग्रह अष्टमी से पूर्णिमा के बीच उग्र रहते हैं।
होलाष्टक में भगवान की भक्ति और पूजा पाठ में समय व्यतीत करें। होलाष्टक में आमलकी एकादशी, रंगभरी एकादशी, शनि प्रदोष जैसे व्रत आने वाले हैं। फाल्गुन पूर्णिमा पर स्नान दान करें और माता लक्ष्मी की पूजा करके धन–समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। होलाष्टक के नौ दिनों में विवाह, मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश या कोई नया कार्य न करें। इन दिनों में नए वाहन की खरीदारी भी करना अशुभ माना जाता है।
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